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केंद्रीय मंत्री जयंत सिन्हा का गोद लिया गांव नहीं बन सका 'आदर्श', बुनियादी सुविधाओं के लिए भी तरस रहे लोग

सांसद आदर्श ग्राम योजना कार्यक्रम के तहत केंद्रीय राज्यमंत्री जयंत सिन्हा ने जिस गांव को गोद लिया था वो आज विकास से कोसों दूर है.

जयंत सिन्हा का गोद लिया गांव विकास से कोसों दूर है

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Published : Mar 30, 2019, 3:12 PM IST

जयंत सिन्हा का गोद लिया गांव विकास से कोसों दूर है

हजारीबागः सांसद आदर्श ग्राम योजना गांव के निर्माण और विकास का कार्यक्रम है. जिसका मुख्य उद्देश्य ग्रामीण इलाकों में विकास करना है. इस कार्यक्रम के तहत केंद्रीय राज्यमंत्री जयंत सिन्हा ने जिस गांव को गोद लिया था वो आज विकास से कोसों दूर है.

बात हो रही जरबा गांव की जिसे यहां के सांसद जयंत सिंहा ने गोद लिया था. जो हजारीबाग के चूरचू प्रखंड में आता है. नाम के लिए यहां साइन बोर्ड में आदर्श गांव तो लिखा है लेकिन अब तक यहां विकास नहीं हो पाया है. उबड़ खाबड़ सड़कों के साथ गड्ढे भरे है. जिससे आम जनता के साथ-साथ वीआईपी जो आदर्श गांव पहुंचते हैं उन्हें भी मुसीबत से रूबरू होना पड़ता है. बरसात के दिनों में सड़क तालाब के रूप में नजर आते हैं.

बुनियादी सुविधाओं के लिए भी तरस रहा आदर्श गांव

आदर्श गांव जरबा में सड़क का हाल बेहाल है. घर के गंदे पानी सड़क पर बहते नजर आते हैं. जो जरबा की पहचान बन चुके है. कहा जाए तो सीवरेज और ड्रेनेज की किसी भी तरह का प्रबंधन इस आदर्श गांव में नहीं है. आदर्श गांव बनने के बाद जरबा में अस्पताल की जरूरत थी. 5 साल बीत गए और अब चुनाव आने वाले हैं ऐसे में जरबा का अपना अस्पताल तक नहीं है.
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शिक्षा और सिंचाई व्यवस्था में भी फेल

शिक्षा की बात की जाए तो उच्चतर शिक्षा के लिए इस गांव में कोई व्यवस्था नहीं है. दसवीं पास करने के बाद कॉलेज की पढ़ाई के लिए आपको ऑटो और टेंपू से हजारीबाग आना पड़ेगा. यह पूरा क्षेत्र कृषि प्रधान क्षेत्र है, लेकिन सिंचाई की समुचित व्यवस्था नहीं होने के कारण किसानों की स्थिति बदतर होते जा रही है. वहीं बच्चों के लिए आदर्श गांव में किसी भी तरह की मनोरंजन की व्यवस्था जैसे पार्क, खेल के मैदान नहीं है. पेयजल के लिए सालों पहले टंकी बैठाया गया था लेकिन अब किसी काम के लायक नहीं है.

ग्रामीण आदर्श गांव की खुशी मनाए या गम

यहां के ग्रामीण खुद को ठगा महसूस करते हैं. उनका कहना है कि सिर्फ हवा हवाई बात करने वाले सांसद का गोद लिया हुआ गांव भी हवा में है. बुनियादी सुविधा से यह गांव कोसों दूर है. लोगों में काफी अधिक निराशा है और सांसद के प्रति आक्रोश भी है. शायद ही गांव के किसी महिला या पुरुष ने इस बात को लेकर खुशी व्यक्त किया हो कि उनका गांव आदर्श गांव है. ग्रामीणों का कहना है कि गांव जैसा पहले था आज भी वैसा ही है.

मुखिया ने माना काम बाकी है

ईटीवी भारत की टीम ने जब जमीनी हकीकत को जानने के बाद जरबा गांव की मुखिया से बात किया तो उन्होंने कहा कि जरबा गांव को गोद लेने के बाद यहां बैंक की एक शाखा खोली.पंचायत भवन का निर्माण किया गया. सांसद भवन भी बनाया गया. हालांकि मुखिया ने माना की अभी काफी काम होने बाकी है.


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