हजारीबाग: हजारीबाग का एक वाकया पंकज त्रिपाठी की फिल्म कागज की याद दिलाता है. जिस तरह फिल्म में पंकज त्रिपाठी दफ्तर-दफ्तर घूमकर अपने जिंदा होने का सबूत देतें हैं उसी तरह हजारीबाग में एक महिला खुद को जिंदा साबित करने के लिए दफ्तर के दफ्तर चक्कर काट रही है. अधिकारियों को जाकर महिला बताती हैं कि मैं जिंदा हूं..सांस लेती हूं..हाथ-पांव चलते हैं और सारा काम करती हूं. हमने जब महिला से पूछा तब उन्होंने कहा-'कटा देलथी हमर नाम..जिंदा आदमी के मरल बना देलथी..काट कुट के बरोबर कर देलके(मेरा नाम काट दिया. जिंदा आदमी को मृत बना दिया और मेरा नाम काट दिया). महिला ने बताया कि वह जब पेंशन लेने जाती हैं तब अधिकारी मौत का सर्टिफिकेट दिखा देते हैं.
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गलती से लिस्ट में जुड़ गया महिला का नाम
मुखिया पप्पू रजक का कहना है कि पिछले साल वृद्धा पेंशन के सामाजिक ऑडिट का काम मिला था. घर-घर घूमे और इसमें पता चला कि 16 लाभुक की मौत हो चुकी थी. लेकिन, एक नाम इसमें गलती से जुड़ गया. जब यह मामला सामने आया तब प्रखंड विकास पदाधिकारी को तुरंत पत्र लिखा और महिला का नाम लिस्ट से हटाने का निवेदन किया. वृद्धा ने पेंशन के लिए दोबारा आवेदन जमा करवा दिया गया है.
पंचायत सेवक प्रदीप प्रसाद ने कहा कि तत्कालीन बीडीओ अमित कुमार श्रीवास्तव के कार्यकाल में मृत व्यक्तियों के नाम पेंशन सूची से हटाने के लिए एक कमेटी बनी थी. उस कमेटी में एक पेंशनधारी को भी सदस्य बनाया गया था जिसमें बनऊ गांव के कामेश्वर सिंह शामिल थे. उन्होंने ही महिला के बारे में बताया था कि वह मर चुकी है. इसी आधार पर महिला का नाम पेंशन लिस्ट से डिलीट कर दिया गया. रोजगार सेवक मनोज कुमार ने कहा कि महिला का नाम गलती से सूची में जुड़ गया था.