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भूखे पेट वर्ल्ड कप की तैयारी कर रही है फुटबॉलर सुधा तिर्की, कैसे बनेंगे चैंपियन!

अंडर-17 वर्ल्ड कप फुटबॉल टीम की संभावितों में शामिल गुमला की सुधा अंकिता तिर्की परिवार के साथ भूख से जंग लड़ रही हैं. लॉकडाउन ने ऐसी कमर तोड़ी है कि सुधा के परिवार को दो वक्त का भोजन मिलना मुश्किल हो गया है. स्थिति ऐसी बन गई है कि पेट भरने के लिए अब गांव में लोगों से मदद मांगनी पड़ रही है.

sudha ankita tirkey fight
खिलाड़ी सुधा अंकिता तिर्की

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Published : May 29, 2020, 7:02 AM IST

गुमला: गरीबी, लाचारी और मजबूरी ये तीनों ऐसी चीजें हैं जिनके सामने सभी घुटने टेक देते हैं. इसकी वजह से अच्छी से अच्छी प्रतिभा निखरने से पहले ही गुमनामी के अंधेरे में खो जाती है. इन तीनों शब्दों ने मिलकर गुमला जिले के प्रतिभावान खिलाड़ी अंकिता की भविष्य को अंधकार की ओर ले जाने के लिए लालायित है. मगर इसके बाद भी यह प्रतिभावान बच्ची सुबह-शाम इन तीनों चीजों से जंग कर रही है.

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हम बात कर रहे हैं गुमला जिले के चैनपुर प्रखंड मुख्यालय से सटे दानपुर गांव की सुधा अंकिता तिर्की की. अंकिता गांव में अपनी बहन और मां के साथ रहती हैं. अंकिता अंडर 17 महिला वर्ल्ड कप फुटबॉल टीम की संभावित भारतिय खिलाड़ी हैं. वह अगले साल भारत में होने वाले अंडर 17 फीफा वर्ल्ड कप फुटबॉल टीम के लिए भारतीय कैंप में है. मगर लॉकडाउन की वजह से अभी प्रेक्टिस बंद है, जिसके कारण वह अपने गांव वापस लौट गईं हैं.

भूखे पेट प्रैक्टिस

अंकित गांव तो आ गई हैं. लेकिन यहां उन्हें भूखे पेट प्रैक्टिस करना पड़ रहा है. अंकिता बताती हैं कि वह बचपन से ही फुटबॉल खेलने की शौकीन हैं. पढ़ाई के दौरान ही वह कई फुटबॉल प्रतियोगिता में भाग ली थी. जिसमें उन्हें बहुत सारे पुरस्कार मिले हैं. वह हाल ही में टर्की से फुटबॉल का अभ्यास मैच खेलकर लौटी हैं. इससे पहले वह गोवा में भी फुटबॉल खेल चुकी है. टर्की से वापस आने के कुछ दिनों के बाद लॉकडाउन हो गई थी. जिसके कारण वह अपने घर वापस आई है मगर यहां खाने-पीने के लिए दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है.

प्रैक्टिस के दौरान सुधा अंकित तिर्की

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अंकिता की मां एक स्कूल में काम करती हैं और वहां से जो पैसे कमाती हैं उससे दोनों बहनों को पढ़ा रही हैं. खर्चे बहुत हैं और आमदनी कम है. अब जब लॉकडाउन हो गई है तो उन्हें भूख का भी सामना करना पड़ रहा है. घर की आर्थिक स्थिति काफी कमजोर है. जिसके कारण ठीक से भोजन भी नहीं कर पाते हैं.

गांव में किराए पर रहती हैं अकिता

पिता की मौत के बाद अंकिता अपनी मां और बहन के साथ इस गांव में किराए के मकान में रहती हैं. इनका अपना घर चैनपुर के ही चितरपुर गांव में है मगर पिता की मौत के बाद जब परिवार के अन्य सदस्यों ने इनका साथ छोड़ा तो फिर इनके समक्ष कई प्रकार की कठिन परिस्थितियां उत्पन्न हो गईं.

प्रैक्टिस के बाद घर लौटी सुधा

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इधर जब लोगों को पता चला कि अंकिता और उसके परिवार वालों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. तो लोग इनकी मदद के लिए सामने आने लगे हैं. जो उन्हें राशन मुहैया करा रहे हैं. हालांकि मामले की जानकारी जब प्रखंड प्रशासन को मिली तो प्रखंड प्रशासन ने भी उनकी सहायता के लिए कुछ राशन मुहैया कराया है. इसके साथ ही इस परिवार को राशन कार्ड भी जल्द से जल्द बनाने का आश्वासन दिया है.

बचपन से ही हैं फुटबॉल की शौकीन

अंकिता की पड़ोसियों ने कहा कि इस छोटी सी बच्ची की प्रतिभा काफी ऊर्जावान है. मगर प्रशासनिक उदासीनता की वजह से कहीं इस प्रतिभा को नुकसान ना उठाना पड़ जाए. पड़ोसी ने बताया कि बचपन से ही उसकी प्रतिभा को देखकर उसे हमेशा आगे बढ़ाया है. उसे फुटबॉल की क्षेत्र में आगे बढ़ाने के लिए फुटबॉल कोच से संपर्क कर उसे प्रशिक्षण देने के लिए राजी किया गया था. अंकिता की मां को यह शक था कि बेटी का भविष्य बीच में ही कहीं गड़बड़ ना हो जाए. मगर अंकिता ने अपनी प्रतिभा के दम पर वह कर दिखाया है, जो कभी परमवीर चक्र विजेता अल्बर्ट एक्का ने किया था.

अपने मां और बहन के साथ अंकिता तिर्की

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बता दें कि अल्बर्ट एक्का भी इसी चैनपुर की धरती के रहने वाले हैं. जिनकी जय गाथा आज पूरा भारतवर्ष गाता है. वहीं प्रखंड प्रमुख ने कहा की जब यह पता चला कि अंकिता के परिवार वालों को दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है तो प्रखंड प्रशासन से उन्हें मदद पहुंचाई गई है. इसके साथ ही आसपास के लोग भी उन्हें मदद करने के लिए हमेशा तैयार रहते हैं. मगर हम सरकार से आग्रह करते हैं कि ऐसी प्रतिभा को निखारने के लिए उन्हें हर संभव मदद करें. ताकि किसी गरीब, बेबस और लाचार खिलाड़ी की प्रतिभा निखरने से पहले ही खत्म ना हो.

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