गुमला: झारखंड राज्य के गुमला जिला के सिसई प्रखंड क्षेत्र से आने वाले एक छोटे से गांव बर्री जतराटोली गांव में 12 अक्टूबर 1965 को बुदू उरांव के घर पर बिरसा उरांव नाम के एक लड़के ने जन्म लिया. जो भरी जवानी में देश की रक्षा के लिए 1999 में पाकिस्तान से कारगिल युद्ध लड़ते हुए शहीद हो गए. बिरसा उरांव फौज में रहते हुए अपने कर्तव्य निष्ठा के कारण ही साधारण सिपाही से आगे कदम बढ़ाते हुए भारतीय सेना में नायक फिर हवलदार के पद को प्राप्त किया था.
कारगिल विजय दिवस विशेष: गुमला के शहीद बिरसा उरांव की जिद ने जीती जंग - कारगिल विजय दिवस
कारगिल विजय दिवस के अवसर पर गुमला के शहीद बिरसा उरांव का जिक्र नहीं हो ऐसा नहीं हो सकता है. झारखंड राज्य के गुमला जिला के सिसई प्रखंड क्षेत्र बिरसा उरांव ने कारगिल युद्ध में अपनी जान कुर्बान कर दी थी. बता दें कि बिरसा उरांव बचपन से ही सेना में जाना चाहते थे.
ये भी पढ़ें-नेट और न ही नेटवर्क...कैसे हो देश के सबसे पिछड़े जिले नूंह में ऑनलाइन पढ़ाई
बिरसा उरांव की उपलब्धियां
शहीद बिरसा उरांव प्रथम बिहार रेजीमेंट में हवलदार के पद पर तैनात थे. जिन्हें विभिन्न सेवाओं के लिए सम्मान दिया गया था, जिनमें शामिल हैं
1. सामान्य सेवा मेडल, नागालैंड- भारत सरकार
2. 9 ईयर लॉन्ग सर्विस मेडल- भारत सरकार
3. सैनिक सुरक्षा मेडल- भारत सरकार
4. ओवरसीज मेडल- संयुक्त राष्ट्र संघ
5. बिहार रेजीमेंट की 50 वीं वर्षगांठ पर स्वतंत्रता मेडल
6. विशिष्ट सेवा मेडल ( मरणोपरांत ) भारत सरकार
विशेष योगदान क्षेत्र
1. ऑपरेशन ओचार्ड ( नागालैंड ) 1983-86
2. ऑपरेशन रकक्ष ( पंजाब ) 1992
3. यूएनओ ( दक्षिण अफ्रीका ) 1993-94
4. ऑपरेशन राइनो ( असम ) 1996
5. ऑपरेशन विजय ( कारगिल ) 1999