गुमला: वैश्विक महामारी कोरोना वायरस के कारण पिछले पांच महीनों से सैलून और पार्लर व्यवसाय पूरी तरह से बंद है. ऐसे में गुमला जिले में इस व्यवसाय से जुड़े हुए लोगों को आर्थिक और मानसिक तनाव से गुजरना पड़ रहा है.
कोरोना संक्रमण से जनता को सुरक्षित रखने के लिए सरकार की ओर से लगाए गए लॉकडाउन में कई लोगों के उद्योग-धंधे चौपट हो गए हैं. कितनों का रोजगार खत्म हो गया है. स्थिति समान्य होने की उम्मीद में इंतजार कर रहे कई लोग जिंदगी का जंग भी हार चुके हैं. वहीं, कई लोग अपना रोजगार बदलकर किसी तरह जीवन-यापन कर रहे हैं, लेकिन सैलून और पार्लर के धंधे से जुड़े लोग अब भी सरकार के फैसले का इंतजार कर रहे हैं. इस इंतजार में वे करीब पांच महीनों से तंगहाली की जिंदगी बसर कर रहे हैं. उनकी आय का स्रोत पूरी तरह से बंद हो चुका है. आर्थिक स्रोत बंद होने के कारण सैलून और पार्लर संचालक अपने दुकान और मकान का किराया भी नहीं दे पा रहे हैं. संचालकों को यह अंदेशा है कि लंबे समय से दुकान बंद होने के कारण कहीं उनका सामान भी बर्बाद ना हो जाए.
राशन तक के लाले पड़े
सैलून और पार्लर के बंद होने से इसमें काम करने वाले कई लोगों के सामने घर में दो वक्त की रोटी की भी जुगाड़ नहीं हो पा रही है. घर में न राशन है और ना ही कोई और खाने पीने का सामान. कई ऐसे सैलून और पार्लर संचालक हैं या फिर सैलून में काम करने वाले वर्कर, जो अब मानसिक रूप से बीमार हो रहे हैं. सैलून संचालकों का कहना है कि पिछले पांच महीने से उनका काम-धंधा बिल्कुल बंद हो गया है.
ऐसे में ये लोग आर्थिक परेशानियों से जूझ रहे हैं. पैसे नहीं होने की वजह से घर में राशन भी नहीं आ पा रहा है. उन्हें न तो कोई सरकारी सहायता मिलती है और ना ही कोई सामाजिक सहायता. उनके समक्ष भुखमरी की स्थिति उत्पन्न हो गई है. उनका कहना है कि कोरोना वायरस से बचने के लिए सबसे बेहतर उपाय घर पर रहना है, लेकिन आर्थिक रूप से निर्बल होने के बाद उनका जीवन तबाह हो गया है.