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कोरोना वायरस का खौफ: मुर्गी पालकों ने छोड़ा मुर्गी पालन का कार्य, महीने भर में हुआ करोड़ों का नुकसान - मुर्गी पालन बंद

गुमला में कोरोना वायरस का दहशत इतना बढ़ गया है कि अब लोग नॉनवेज खाना ही छोड़ दिए हैं. जिस वजह से ग्रामीण इलाकों में मुर्गी उत्पादन का कार्य ठप हो गया है. गुमला ग्रामीण पोल्ट्री स्वावलंबी सहकारी समिति लिमिटेड सीलम से जुड़कर जिलेभर की 900 महिला मुर्गी पालन का काम कर रही हैं, मगर कोरोना वायरस के खौफ ने इन 900 महिलाओं का रोजगार को छीन लिया है.

Poultry farmers have left the work of poultry for the Corona virus in Gumla
खाली पड़ा फार्म

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Published : Mar 13, 2020, 11:10 PM IST

गुमला: कोरोना वायरस का दहशत इतना बढ़ गया है कि अब लोग नॉनवेज खाना ही छोड़ दिए हैं. यही वजह है कि गुमला जिला के ग्रामीण इलाकों में मुर्गी उत्पादन का कार्य ठप हो गया है. गुमला ग्रामीण पोल्ट्री स्वावलंबी सहकारी समिति लिमिटेड सीलम से जुड़कर जिलेभर की 900 महिला मुर्गी पालन का काम कर रही हैं, मगर कोरोना वायरस के खौफ ने इन 900 महिलाओं का रोजगार को छीन लिया है. जिसके कारण प्रतिदिन करीब दस लाख रुपए का नुकसान हो रहा है. अगर एक महीने की बात करें तो गुमला में कोरोना वायरस के खौफ के कारण मुर्गी पालन करने वाली महिलाओं को करीब दो करोड़ रुपए का नुकसान हुआ है.

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80% तक गिरावट
वहीं, गुमला ग्रामीण पॉल्ट्री स्वावलंबी सहकारी समिति लिमिटेड के मैनेजर ने फोन पर बताया कि मुर्गी पालन में करीब 80% गिरावट आ गई है. जिस मुर्गी को पहले 80 से 85 रुपए प्रति किलो बेचा जा रहा था, उसे अब ₹10 प्रति पीस बेचा जा रहा है. उन्होंने बताया कि मुर्गी पालन बंद होने के कारण इस सोसाइटी से जुड़े करीब 40 से 50 कर्मचारी भी बेरोजगारी झेलने के कगार पर आ गए हैं.

बाजार ठप

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मुर्गी पालन बंद होने के कारण परेशानी

मुर्गी पालन से जुड़ी महिलाओं ने बताया कि कोरोना वायरस के कारण मुर्गी पालन को बंद कर दिए हैं, क्योंकि जितना हम लोग मेहनत कर रहे हैं उतनी आमदनी नहीं हो रही है. यहां तक कि मुर्गी पालन में लागत रुपए भी नहीं निकल रहे हैं. महिला ने बताया कि करीब 500 चूजा लाकर उसे तैयार करते थे. महीनेभर में मुर्गी बाजार में बेचने के लिए तैयार हो जाती थी. मेहनत करने पर हम एक महीने में छह से सात हजार रुपए तक की आमदनी करते थे, लेकिन अभी मुर्गी पालन बंद हो जाने से काफी परेशानी हो रही है.

समिति

10 से ₹11 पीस बेचना पड़ रहा मुर्गी

मुर्गी पालन करने से जुड़ी दूसरी महिला ने बताया की अभी मुर्गी पालन में काफी नुकसान हो रहा है, जिसके कारण मुर्गी पालन को बंद कर दिया गया है. जिस मुर्गी को हम लोग वजन में बेचते थे, जिसके कारण अच्छी आमदनी हो जाती थी उसी मुर्गी को अभी 10 से ₹11 पीस बेचना पड़ रहा है. जिसकी वजह से अभी मुर्गी पालन के कार्य को बंद कर दिया गया है. काम बंद होने के कारण हम सब बेरोजगारी झेल रहे हैं.

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घर का खर्च नहीं चल रहा

महिला कोरोना वायरस का नाम तो नहीं बता पाई, लेकिन यह बताई कि चीन में बीमारी फैला है. जिसकी वजह से हम लोगों ने मुर्गी पालन को बंद कर दिया है. महिला बताती है कि प्रत्येक महीने दस हजार रुपए की आमदनी होती थी. मगर अभी इतना डर गए हैं कि हम लोगों ने इस कार्य को बंद कर दिया है. काफी दिक्कत हो रही है घर का खर्च नहीं चल रहा है. बच्चों के स्कूल का फीस भी नहीं दे पा रहे हैं.

अंडा उत्पादन में भी कमी
वहीं, मुर्गी दाने का उत्पादन करने वाले ने बताया कि अभी मुर्गी पालक मुर्गी नहीं पाल रहे हैं. इसके साथ ही जो किसान अंडा का उत्पादन करते हैं, वह भी दाना नहीं ले जा रहे हैं. क्योंकि जो अंडा पहले ₹5 पीस बिकता था, उसका भी कीमत गिर रहा है. जिसके कारण उत्पादक अंडा उत्पादन करने में ध्यान नहीं दे रहे हैं. हम पहले प्रत्येक दिन 15 से 20 टन मुर्गी का दाना बेचते थे, मगर अभी काफी कम हो गया है.

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परिवार चलाने में काफी मशक्कत

वहीं, बाजार में मुर्गी बेचने वाले व्यवसायियों का भी स्थिति खराब होता जा रहा है. मुर्गी विक्रेताओं ने बताया कि कोरोना वायरस के खौफ के कारण उनका धंधा चौपट हो जा रहा है. पहले हम लोग प्रत्येक दिन क्विंटलों में मुर्गी बेचते थे, मगर अभी स्थिति यह हो गई है कि हमें 10 से 20 किलो बॉयलर मुर्गी बेचने के लिए दिनभर लग जा रहा है. जिस मुर्गी को पहले हम ₹120 किलो बेचते थे, उसी मुर्गी को अभी ₹40 किलो बेचना पड़ रहा है. जिसके कारण परिवार चलाने में काफी मशक्कत करना पड़ रहा है.

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