गुमला:जिले के महत्वपूर्ण ऐतिहासिक स्थल नवरत्न गढ़ की चर्चा इस रविवार को 'मन की बात' कार्यक्रम की 100 वीं कड़ी के प्रसारण के दौरान देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी करेंगे. इसके ठीक पहले शनिवार शाम को एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया. इसमें भारी संख्या में लोग शामिल हुए और इसका लुत्फ उठाया. गौरतलब है कि गुमला जिले के सिसई प्रखंड में स्थित नवरत्न गढ़ के इस किले का निर्माण 16-17 वीं शताब्दी के बीच किया गया था. यह स्थान नागवंशी राजाओं की राजधानी हुआ करती थी.
मन की बात के 100वें एपिसोड से पहले नवरत्न गढ़ में हुआ रंगारंग कार्यक्रम, गवाह बने सैकड़ों लोग - gumla news
पीएम मोदी के मन की बात कार्यक्रम के 100वें एपिसोड को लेकर गुमला के नवरत्न गढ़ में कार्यक्रम का आयोजन हुआ. इसमें सैकड़ों लोग शामिल हुए.
झारखंड में इस तरह के 13 स्मारक स्थल हैं, लेकिन उनमें से सिर्फ गुमला के नवरत्न गढ़ को मन की बात कार्यक्रम में स्थान मिलना जिले वासियों के लिए किसी उपलब्धि से कम नहीं है. शनिवार को यहां आयोजित कार्यक्रम में सैकड़ों लोग गवाह बने. मौके पर सांसद सुदर्शन भगत ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा मन की बात के 100वें एपिसोड में देश के 13 ऐतिहासिक स्थलों को सम्मिलित किया गया है. इससे आज गुमला में नागवंशी राजाओं के ऐतिहासिक नवरत्नगढ़ किले को वैश्विक पहचान मिली है. इससे गुमला के इतिहास में पर्यटन और विकास का नया आयाम जुड़ा है.
कार्यक्रम का किया गया आयोजन:मौके पर मौजूद भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण रांची के पुरातत्वविद राजेंद्र डेहरी ने बताया कि आकाशवाणी पर प्रसारित मन की बात के 100वें एपिसोड के प्रसारण से पहले नवरत्न गढ़ के राजमहल और मंदिर परिसर में कुछ महत्वपूर्ण कार्यक्रम का आयोजन किया गया है. उन्होंने बताया कि झारखंड प्रदेश के नागवंशियों की धरोहर नवरत्न गढ़ परिसर को इन कार्यक्रमों को भारत सरकार के संस्कृति मंत्रालय ने प्रमुख स्थानों में से चयनित किया है. यह पूरे झारखंड और गुमला के लिए गर्व का विषय है. आकर्षक कार्यक्रम को लेकर जनता में काफी उत्साह बना हुआ है.
बनाया गया है सेल्फी प्वाइंट:नवरत्न गढ़ पर आयोजित इस कार्यक्रम के लिए एक रेडियो की प्रतिकृति के साथ खूबसूरत सेल्फी प्वाइंट बनाया गया है, जहां बड़ी संख्या में युवाओं की भीड़ सेल्फी लेते रही. इस दौरान लोहरदगा लोकसभा सांसद सुदर्शन जिला परिषद अध्यक्ष किरण बड़ा, एसडीओ रवि जैन के अलावा भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण रांची के पुरातत्वविद राजेंद्र डेहरी, नीरज कुमार मिश्रा और राजीव रंजन सहित सैकड़ों लोग मौजूद थे.