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ODF घोषित गुमला जिले के गई गांवों में नहीं है शौचालय, खुले में शौच करने को लोग विवश - गुमला के गावों में गई शौचालय बनना शेष

ODF घोषित गुमला जिले की हकीकत सामने आ रही है. तुसगांव और हंसलता जैसे कई गांवों में शौचालय बनने के बावजूद आज भी लोग खुले में शौच करने को मजबूर हैं. यहां 27 हजार परिवारों के घरों में अभी तक शौचालय का निर्माण नहीं हो पाया है और जहां हुए भी हैं तो वह आधे-अधूरे हैं.

odf declared gumla villages have no toilet facilities
गांवों में बने आधे-अधूरे शौचालय

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Published : Feb 17, 2021, 3:54 PM IST

Updated : Feb 18, 2021, 3:41 PM IST

गुमला:झारखंड का गुमला जिला कहने को तो ओडीएफ घोषित जिलों में से एक है, लेकिन आज भी शौच के लिए यहां के लोग खेत, डोभा, नदी और तालाब जैसे खुली जगहों पर जाने को मजबूर हैं. सरकार एक तरफ यह दावा करती है कि हर गांव और शहर को खुले में शौच से मुक्त कर हर एक घर में शौचालय बनाने की मुहिम चलाई गयी है. जिले के करौंदी पंचायत के राजस्व ग्राम के हंसलता, आंबाटोली और तुसगांव जैसे ऐसे कई गांव है जहां एक भी शौचालय नहीं बना है, लेकिन उस गांव को शौचालय पूर्ण दिखाकर गांव को ODF घोषित कर दिया है. जिससे गांव के लोग सरकार और प्रशासन की दबंग कार्यप्रणाली का दंश झेलने को मजबूर हैं.


नहीं बन पाए हैं 27 हजार शौचालय
स्वच्छ भारत मिशन के तहत भले ही जिले को ओडीएफ घोषित कर दिया गया हो, लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही है. ऐसा इसलिए क्योंकि करीब डेढ़ वर्ष पूर्व जिले में संचालित संस्था प्रदान और जेएसएलपीएस के मातेहत संचालित होने वाली महिला मंडलों के खाते में लाखों रुपये ट्रांसफर कर दिए गए. विभागीय जानकारी के मुताबिक जिले के आठ प्रखंडों में करीब 27 हजार शौचालय बनाने के लिए एसएचजी के खाते में राशि डाल दिए गए, जिसमें से कुछ प्रखंड के महिला मंडल करीब-करीब अपना लक्ष्य पाने में कामयाब रही, जबकि जिले में अब तक लगभग 27 हजार शौचालय नहीं बनाए गए हैं. क्योंकि विभाग को शौचालय की उपयोगिता प्रमाण पत्र प्राप्त नहीं है.


शौचालय बनना शेष
सदर ब्लॉक 1600 के विरुद्ध 600 शौचालय बने हैं, रायडीह में 2300 के विरुद्ध 2119 शौचालय, घाघरा में 3500 के विरुद्ध 1500, भरनो 4100 के विरुद्ध 3800, पालकोट 6288 के विरुद्ध 3274, विशुनपुर में 1278 शौचालय बनने थे, जिसमें 568 बने और 1 एसएचजी ग्रुप ने 350 शौचालय की राशि विभाग को लौटा दिए. उधर शौचालय बनाने में सबसे अच्छा कार्य सिसई प्रखंड में हुआ. सिसई में 6200 के विरुद्ध 6085 शौचालय बनाए गए हैं. वहां मात्र 115 शौचालय बनाना शेष रह गए हैं.


जल्द प्रमाण पत्र उपलब्ध कराने के निर्देश
इस संबंध में पीएचईडी विभाग के ईई चंदन कुमार ने कहा है कि वैसे महिला मंडल जो शौचालय निर्माण के पैसे रखे हुए हैं वे जल्द से जल्द शौचालय निर्माण कर विभाग को उपयोगिता प्रमाण पत्र उपलब्ध कराएं. विभाग उनके विरुद्ध प्राथमिकी दर्ज करेगी.

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इन गांवों में नहीं बना है शौचालय
वहीं, डीडीसी कहते है कि जनसंख्या वृद्धि के कारण परिवारों की संख्या में भी बढ़ोतरी हो रही है, लेकिन दूसरी दृष्टिकोण से देखे तो मामला जिला मुख्यालय से लगभग 6 किमी की दूरी पर स्थित जिले के गुमला सदर प्रखंड के करौंदी पंचायत के राजस्व ग्राम के हंसलता, आंबाटोली और तुसगांव जैसे जिला के कई गांव है. जहां आज भी या तो शौचालय बना ही नहीं या बना तो उपयोग लायक ही नहीं है. ऐसे में गांव के बेटी-बहन, बुजुर्ग-बीमार सभी खुले में शौच को विवश हैं.

आधे-अधूरे बने है शौचालय
जिला मुख्यालय से महज 6 किमी की दूरी पर बसा एक गांव, जिसमें दोनों टोला मिलाकर लगभग 700 लोग रहते हैं. इस गांव को शहर से सटे होने का सौभाग्य भी मिला. वहीं राजस्व ग्राम होने के बाद रूबर्न मिशन के तहत सरकार ने इस गांव को गोद भी लिया है, लेकिन सिर्फ खाना पूर्ति कर उपस्थिति दर्ज की है. गांव में शौचालय बने भी हैं, तो आधी-अधूरी है.


महिलाओं को होती है ज्यादा परेशानी
गांव की महिला ने अपनी परेशानी मीडिया के साथ साझा की है. इस दौरान एक महिला ने बताया है कि शौचालय नहीं होने से मुसीबत होती है. महिला और युवती के अप्रिय घटना की आशंका बनी रहती है. कुछ जगह शौचालय बने हैं, लेकिन अवह अधूरे हैं. कुछ शौचालय ऐसे है जहां गड्डा खोद कर छोड़ दिया है. सिर्फ खाना पूर्ति कर पूरे गांव और शहर को स्वच्छ मिशन के तहत ODF घोषित कर शौचालय पूर्ण कर दिया गया है.

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अधिकारी ने झाड़ा पल्ला
मामले की जानकारी उपविकाश आयुक्त संजय बिहारी से ले ली गई, तो उन्होंनें पल्ला झाड़ते हुए बताया कि महिला मंडल ओर जल सहिया के माध्यम से शौचालय का कार्य चल रहा था.

Last Updated : Feb 18, 2021, 3:41 PM IST

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