गुमला:झारखंड का गुमला जिला कहने को तो ओडीएफ घोषित जिलों में से एक है, लेकिन आज भी शौच के लिए यहां के लोग खेत, डोभा, नदी और तालाब जैसे खुली जगहों पर जाने को मजबूर हैं. सरकार एक तरफ यह दावा करती है कि हर गांव और शहर को खुले में शौच से मुक्त कर हर एक घर में शौचालय बनाने की मुहिम चलाई गयी है. जिले के करौंदी पंचायत के राजस्व ग्राम के हंसलता, आंबाटोली और तुसगांव जैसे ऐसे कई गांव है जहां एक भी शौचालय नहीं बना है, लेकिन उस गांव को शौचालय पूर्ण दिखाकर गांव को ODF घोषित कर दिया है. जिससे गांव के लोग सरकार और प्रशासन की दबंग कार्यप्रणाली का दंश झेलने को मजबूर हैं.
नहीं बन पाए हैं 27 हजार शौचालय
स्वच्छ भारत मिशन के तहत भले ही जिले को ओडीएफ घोषित कर दिया गया हो, लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही है. ऐसा इसलिए क्योंकि करीब डेढ़ वर्ष पूर्व जिले में संचालित संस्था प्रदान और जेएसएलपीएस के मातेहत संचालित होने वाली महिला मंडलों के खाते में लाखों रुपये ट्रांसफर कर दिए गए. विभागीय जानकारी के मुताबिक जिले के आठ प्रखंडों में करीब 27 हजार शौचालय बनाने के लिए एसएचजी के खाते में राशि डाल दिए गए, जिसमें से कुछ प्रखंड के महिला मंडल करीब-करीब अपना लक्ष्य पाने में कामयाब रही, जबकि जिले में अब तक लगभग 27 हजार शौचालय नहीं बनाए गए हैं. क्योंकि विभाग को शौचालय की उपयोगिता प्रमाण पत्र प्राप्त नहीं है.
शौचालय बनना शेष
सदर ब्लॉक 1600 के विरुद्ध 600 शौचालय बने हैं, रायडीह में 2300 के विरुद्ध 2119 शौचालय, घाघरा में 3500 के विरुद्ध 1500, भरनो 4100 के विरुद्ध 3800, पालकोट 6288 के विरुद्ध 3274, विशुनपुर में 1278 शौचालय बनने थे, जिसमें 568 बने और 1 एसएचजी ग्रुप ने 350 शौचालय की राशि विभाग को लौटा दिए. उधर शौचालय बनाने में सबसे अच्छा कार्य सिसई प्रखंड में हुआ. सिसई में 6200 के विरुद्ध 6085 शौचालय बनाए गए हैं. वहां मात्र 115 शौचालय बनाना शेष रह गए हैं.
जल्द प्रमाण पत्र उपलब्ध कराने के निर्देश
इस संबंध में पीएचईडी विभाग के ईई चंदन कुमार ने कहा है कि वैसे महिला मंडल जो शौचालय निर्माण के पैसे रखे हुए हैं वे जल्द से जल्द शौचालय निर्माण कर विभाग को उपयोगिता प्रमाण पत्र उपलब्ध कराएं. विभाग उनके विरुद्ध प्राथमिकी दर्ज करेगी.