गुमला: बसिया अंचल प्रशासन इन दिनों माफियाओं पर पूरी तरह मेहरबान है. वैसे तो अवैध खनन करने वाले माफियाओं पर राज्य सरकार ने कड़ी कार्रवाई करने का आदेश दिया है. इस आदेश का पालन करते हुए बसिया अंचल प्रशासन करवाई कर भी रही है लेकिन छापेमारी करने के बाद 48 घंटे तक बालू माफियाओं पर प्राथमिकी दर्ज नहीं कराना कई तरह के सवाल खड़े कर रहे हैं.
गुमला में प्रशासन की लापरवाही, अवैध बालू सीज करने के 48 घंटे बाद भी माफियाओं पर प्राथमिकी नहीं - झारखंड न्यूज
गुमला में प्रशासन पर माफियाओं से सांठ-गांठ का आरोप लग रहा है. यह आरोप तब लग रहे हैं जब बालू सीज किए जाने के 48 घंटे बाद भी माफियाओं पर कोई कार्रवाई नहीं हुई.
![गुमला में प्रशासन की लापरवाही, अवैध बालू सीज करने के 48 घंटे बाद भी माफियाओं पर प्राथमिकी नहीं Negligence of district administration in Gumla](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/768-512-15484088-420-15484088-1654491943877.jpg)
बता दें कि बीते शुक्रवार को बसिया अंचल क्षेत्र में कार्रवाई करते हुए अवैध बालू जब्त किया गया, जिसे सरूडा स्थित स्कूल प्रागंण में रखा गया. लेकिन धीरे-धीरे वहां से बालू की मात्रा कम हो गई है. बालू जब्ती के 48 घंटे बाद भी प्राथमिकी दर्ज नहीं कराना प्रशासन के रवैये पर शक पैदा करती है. वहीं प्राथमिकी दर्ज नहीं कराए जाने के संबंध में जब अंचलाधिकारी रवींद्र पांडे से पूछा गया तो उन्होंने कहा कि मामला दर्ज करने के लिए थाने में आवेदन दिया गया था, लेकिन कुछ तकनीकी त्रुटि के कारण मामला दर्ज नहीं हो सका है.
वहीं इस मामले पर थाना प्रभारी छोटू उरांव ने कहा कि अंचलाधिकारी ने अपने एक कर्मी से प्राथमिकी दर्ज करने के लिए आवेदन दिलाया था. जबकि नियम यह है कि अवैध खनन के मामले पर अंचलाधिकारी ही मामला दर्ज करा सकते हैं. इधर समय बीतने के साथ ही माफियों के हौसले बुलंद होते जा रहे हैं जिसका नतीजा है कि सीज किए गए बालू मे से आधा से भी अधिक बालू गायब हो गया हैं. अब देखना यह होगा कि इस पूरे मामले पर जिला के तेज तर्रार उपायुक्त सुशांत गौरव क्या कार्रवाई करते हैं.