गुमला:सरकारी अस्पतालों से आए दिन अव्यवस्था की खबरें आती रहती हैं. सरकारी अस्पतालों से ऐसे किस्से लगभग रोजाना ही आते हैं कि कभी डॉक्टर अस्पताल में उपलब्ध नहीं हैं तो कभी डॉक्टर ने बिना देखे ही मरीजों को दूसरे अस्पताल रेफर कर दिया. सरकारी अस्पताल में अव्यवस्था और असंवेदनशीलता का ऐसा ही मामला सामने आया है गुमला से. दरअसल, गुमला सदर अस्पताल में आए मरीजों को डॉक्टर बाहरी दवाई के नाम थमा दे रहे हैं, ऐसे में आम गरीब मरीजों के लिए यहां इलाज करा पाना मुश्किल होता जा रहा है.
अस्पताल में उपलब्ध नहीं हैं दवाएं
ईटीवी भारत ने गुमला के सदर अस्पताल में इलाज कराने आए मरीजों से जब बात की तो उन्होंने कहा कि यहां के डॉक्टर इलाज तो कर दे रहे हैं लेकिन जो दवा वे लिख रहे हैं, वो अस्पताल में उपलब्ध ही नहीं हैं. दवा काउंटर पर जब वे दवा लेने जाते हैं तो उन्हें दवा देने से यह कहते हुए इनकार कर दिया जाता है कि यह दवा यहां नहीं है, कहीं बाहर के दुकान से ले लें. दवा नहीं मिलने के कारण उन्हें बाहर के दुकानों का रूख करना पड़ रहा है, जिसका खर्च उठाने में वे असक्षम हैं.
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डॉक्टरों को दिए गए हैं सख्त निर्देश
इस मामले को लेकर ईटीवी भारत ने जब सिविल सर्जन से बात की तो उन्होंने यह कहा कि अस्पताल में अभी जननी सुरक्षा की दवा उपलब्ध है, जिसके लिए मरीजों को बाहर जाने की जरूरत नहीं है. वहीं कुछ दवाएं कॉर्पोरेशन से मिलती है, जो आने वाले एक-दो दिनों में उपलब्ध हो जाएंगी. रही बात डॉक्टरों द्वारा लिखी दवाइयां नहीं मिलने की तो यहां डॉक्टर कुछ ऐसी दवाइयां भी लिख देते हैं, जो हमें खुद लगता है कि ऐसी दवाइयां डॉक्टरों को नहीं लिखनी चाहिए. उन्होंने कहा कि इस बारे में डॉक्टरों को हिदायत दी गई है कि बाहर की दवा कम से कम लिखे और इसके बदले अस्पताल में उपलब्ध वैकल्पिक दवाएं उपलब्ध करा दिए जाएं.
गरीब भुगत रहे खामियाजा
ऐसे में सवाल उठता है कि डॉक्टर सरकारी आदेश की अवहेलना क्यों कर रहे हैं. आखिर क्यों वैकल्पिक दवा अस्पताल में उपलब्ध होने के बावजूद गरीब मरीजों पर और बोझ बढ़ा रहे हैं. सबसे बड़ी बात यह है कि सरकारी आदेश की अवहेलना करने वाले इन डॉक्टरों पर कोई कार्रवाई क्यों नहीं की जा रही है. डॉक्टरों की असंवेदनशीलता का खामियाजा आखिर कब तक गरीब मरीज उठाएंगे.