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Jharkhand News: माओवादी के सब जोनल कमांडर खुदी मुंडा ने गुमला में किया सरेंडर, सरकार ने घोषित कर रखा था पांच लाख का इनाम

पांच लाख रुपए का इनामी नक्सली खुदी मुंडा ने हथियार के साथ गुमला पुलिस के समक्ष सरेंडर कर दिया है. इस मौके पर डीआईजी अनूप बिरथरे मौजूद थे. उन्होंने बाकी के नक्सलियों से भी सरकार की योजना नई दिशा-नई पहल का लाभ उठाने की अपील की है.

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Five Lakh Rewarded Naxalite Surrendered In Gumla

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Published : Jul 18, 2023, 7:48 PM IST

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गुमला: माओवादी के सब जोनल कमांडर खुदी मुंडा ने मंगलवार को सार्वजनिक रूप से हथियार के साथ पुलिस केंद्र चंदाली में डीआईजी अनूप बिरथरे के समक्ष आत्मसमर्पण कर दिया है. इस मौके पर डीआईजी ने बताया कि माओवादी लाजिम अंसारी, बुद्धेश्वर उरांव और राजेश उरांव के मुठभेड़ में मारे जाने के बाद खुद ही खुदी मुंडा ने आत्मसमर्पण किया है. इस दौरान डीआईजी ने शेष बचे हुए माओवादियों से भी सरकार की नीति का लाभ उठाते हुए आत्मसमर्पण करने की अपील की.

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एसपी ने बाकी के माओवादियों से भी मुख्यधारा से जुड़ने की अपील कीः इस मौके पर गुमला के एसपी डॉक्टर एहतेशाम वकारीब ने कहा कि लगातार 'नई दिशा-नई पहल' के तहत मुख्यधारा से जुड़ने के लिए नक्सलियों से अपील की जा रही थी. जिसके तहत माओवादी खुदी मुंडा ने आत्मसमर्पण किया है. माओवादी के सब जोनल कमांडर खुदी मुंडा के खिलाफ में झारखंड पुलिस ने पांच लाख रुपए का इनाम घोषित कर रखा था. गुमला, लातेहार, बूढ़ापहाड़, सिमडेगा आदि क्षेत्रों में खुदी मुंडा सक्रिय था. खुदी के खिलाफ गुमला के चैनपुर, पालकोट, रायडीह, भरनो सहित कई थाने में हत्या, लूट और फिरौती के मामले दर्ज हैं. जिनमें मंगल नगेसिया के चार समर्थकों की हत्या, कुरुमगढ़ के नवनिर्मित थाने को उड़ाने, गुरदरी माइंस में वाहनों को जलाने सहित लगभग 44 मामले दर्ज हैं.

खुदी के माओवादी बनने की कहानीः वहीं माओवादी संगठन का सब जोनल कमांडर खुदी मुंडा गुमला जिले के भरनो के बटकुरी गांव के रहने वाला है. 1996 में अपने चचेरे भाई बॉबी मुंडा के संपर्क में आने के बाद खुदी माओवादी संगठन से जुड़ा था. खुदी शुरुआत में माओवादियों तक सामान पहुंचाना और पुलिस की गतिविधियों की सूचना देने का काम करता था. इसके बाद वह 2001 में वह जेल गया था. जिसके बाद 2005 में बाहर आने पर मनोज नगेसिया और सिल्वेस्टर लकड़ा ने उसे पालकोट सिमडेगा क्षेत्र का सब जोनल कमांडर बनाया था.

बाकी का शेष जीवन परिवार के साथ गुजारने की जतायी इच्छाःमंगलवार को पुलिस के समक्ष आत्मसमर्पण करने के बाद खुदी मुंडा ने कहा कि वह ज्यादा पढ़ा-लिखा नहीं है. इस कारण दूसरों के कहने पर वह नक्सली बन जंगलों में भटका करता था. अब वह बाकी का समय अपने परिवार के साथ सुख-चैन की जिंदगी गुजारना चाहता है. मौके पर डीडीसी हेमंत सती, एसडीपीओ, सार्जेंट मेजर, थाना प्रभारी सहित पुलिस के अन्य पदाधिकारी मौजूद थे.

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