गुमला:गुमला जिले के पारंपरिक कलाओं को बढ़ावा देने एवं शिल्पकारों की आय में वृद्धि करने के उद्देश्य से उपायुक्त सुशांत गौरव की पहल से जिले के मुख्यधारा से बाहर रहे लघु उद्यमी बांस कारीगरों को पहचान दिलाने के लिए जिला प्रशासन द्वारा लगातार काम कर रहा है. जहां एक तरफ बांस कारीगरों के लिए बांस कला केंद्र का निर्माण किया गया है, वहीं दूसरी ओर बैंबू टूल किट का भी वितरण करने के साथ साथ उनके कौशल विकास के लिए भी प्रशिक्षण दिया जा रहा है.
Gumla News: झारखंड पंचायती राज निदेशक ने की बांस कारीगरों की प्रसंशा, कहा- गुमला झारखंड का पहला जिला जहां जमीनी स्तर पर किए जा रहे कार्य
पंचायती राज निदेशक ने की जिले के बांस कारीगरों से मुलाकात कर उनके कार्यों की समीक्षा की. इस दौरान 1600 बांस कारीगरों के बीच टूल किट का वितरण किया गया.
पारंपरिक लघु कौशल उद्योग को बढ़ावा देने हेतु भारत सरकार के RGSA योजना के तहत झारखंड सरकार की पंचायती राज निदेशक निशा उरांव ने गुमला के सिसई प्रखंड स्थित बांस कला केंद्र का निरीक्षण किया इस दौरान उन्होंने बांस शिल्पकारों से मुलाकात की एवं जिला प्रशासन द्वारा मिलने वाली सुविधाओं की कहानी बांस शिल्पकारों की जुबानी सुनी. इस दौरान बांस शिल्पकारों के चेहरे पर खुशी दिखी. पंचायत राज निदेशक ने कहा कि गुमला राज्य का पहला जिला है जो बांस शिल्पकारों के लिए जमीनी स्तर पर इस प्रकार से कार्य किए जा रहे हैं.
झारखंड पंचायती राज निदेशक निशा उरांव ने कहा कि भारत सरकार से प्राप्त निर्देश के आलोक में झारखंड सरकार अलग अलग जिलों के पारंपरिक शिल्प कला को चिन्हित करते हुए उनके उत्थान के लिए योजनाएं तैयार की जाएगी. इसी संबंध में गुमला दौरे के क्रम में सिसई में बांस शिल्पकारों के लिए बनाए गए बांस कला केंद्र का निरीक्षण एवं शिल्पकारों से मिल कर यहां की स्थिति का जायजा लिया. निदेशक ने कहा कि शिल्पकारों के उत्थान के लिए गुमला उपायुक्त की पहल काफी सराहनीय है. जिले में लघु उद्यमियों के लिए अपेक्षा से अधिक कार्य किया जा रहा है जो बाकी जिलों से गुमला जिले को अलग स्थान देता है.
बांस कारीगरों ने पंचायती राज निदेशक को भेंट स्वरूप बांस से बने उत्पादों को दिया. भेंट को स्वीकार करते हुए निदेशक ने पर भी बांस से बने वस्तुओं का क्रय किया एवं बांस कारीगरों को एक बड़े विपणन क्षेत्र से जोड़कर उनके आर्थिक विकास में सहयोग करने के लिए आश्वासन भी दिया. इसके अलावा निदेशक द्वारा जिला प्रशासन द्वारा प्रस्तावित की गई प्रोजेक्ट बसिया ब्रास शिल्प विकास केंद्र, झारखंड की सांस्कृतिक पहचान के लिए मांदर शिल्प विकास केंद्र, टोटो में माटी शिल्पकारों के लिए मिट्टी कला केंद्र के निर्माण कार्य के लिए भी पंचायती राज से जल्द ही सहमति देने का आश्वासन दिया गया. बांस कारीगरों से मिलने के उपरांत निदेशक की अध्यक्षता में सिसई प्रखंड स्तरीय टीम का दो दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन प्रखंड समाहरणालय में किया गया जिसमें, ग्राम पंचायत विकास योजना के अंतर्गत वीपीआरपी बाल सभा, महिला सभा एवं केंद्र द्वारा संचालित प्रमुख योजनाओं को एकीकृत करने पर पंचायत के सभी मुखियाओं को प्रशिक्षण दिया गया.
8 बांस कला केंद्र से 1600 को जोड़ा गया:उपायुक्त सुशांत गौरव की पहल से बांस कारीगरों की आय के स्रोतों को सशक्त बनाने हेतु कई कार्य किए जा रहे हैं. जिले के बांस शिल्पकारों के प्रमुख स्थानों को चिन्हित करते हुए सिसई, बसिया, घाघरा, चैनपुर, पालकोट, भरनो, रायडीह एवं कामडारा प्रखंड में 8 बांस कला केंद्र का निर्माण किया गया है. पूरे जिले में 1600 बांस कारीगरों को चिन्हित करते हुए उनके बीच बंबू टूल किट का वितरण किया जा रहा है. अब तक 1200 से अधिक बांस कारीगरों के बीच बंबू टूल किट का वितरण किया जा चुका है. इसके अलावा बांस कारीगरों को बदलते समय के अनुसार समय समय पर मुख्यमंत्री लघु एवं कुटीर उद्योग विकास बोर्ड के समन्वयकों द्वारा तकनीकी प्रशिक्षण भी दिया जाता है. जिसमें सजावटी सामग्री एवं फर्नीचर बनाने का भी ट्रेनिंग दिया जा रहा है.
जिले के बांस कारीगरों द्वारा सूप, दौरा, गेडुआ, मोढा, मचिया, पारंपरिक समान, मांदर नगाड़ा, ढांक, सजावटी सामान, फर्नीचर जैसे दर्जनों उत्पादों को हाथों से बनाया जाता है. इन सभी उत्पादों को एक बड़े विपणन से जोड़ने हेतु जिला प्रशासन के द्वारा योजनाबद्ध तरीके से कार्य किया जा रहा है. जिला प्रशासन की पहल से जहां पहले बांस कारीगर 10000 प्रति माह की कमाई मुश्किल से कर पाते थे, अब उनकी आमदनी में दोगुनी वृद्धि आई है. जिससे बांस शिल्पकारों की आर्थिक स्थिति में एक बड़ा बदलाव भी देखने को मिला है. इसी प्रकार से जिला प्रशासन के द्वारा आने वाले समय में कई लघु उद्यमियों के विकास के लिए कई महत्वपूर्ण योजनाएं बनाई जा रही है.