गुमला: कोरोना वायरस आज एक वैश्विक महामारी बन चुकी है. इसकी चपेट में आने से विश्वभर में एक लाख 77 हजार से अधिक लोगों की जान चली गई है, जबकि 25 लाख से अधिक लोग इस महामारी से पीड़ित हैं. भारत में भी कुछ कोरोना वॉरियर्स की जान चली गई है. जिनके साथ भी देश के अलग-अलग हिस्सों में मारपीट और बदसलूकी भी की गई है. इसे लेकर इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने सरकार को अलर्ट करने के उद्देश्य से 22 अ्प्रैल की रात 9:00 बजे अस्पतालों में एक-एक मोमबत्ती जलाने का निर्णय लिया है. गुमला जिला इकाई ने भी अपने संगठन के आह्वान के समर्थन में उतरने की बात कही है.
गुमला इकाई के सदस्यों ने भी इसे लेकर चर्चा की है और संगठन के निर्णय के समर्थन में अपने अपने घरों और अस्पतालों में मोमबत्ती जलाने निर्णय लिया है. इस दौरान सोशल डिस्टेंसिंग का पूरा ख्याल भी रखा गया. एसोसिएशन के पदाधिकारियों ने कहा कि अभी डॉक्टर और स्वास्थ्यकर्मी जिस तरह से कोरोना के युद्ध में लगे हुए हैं उसके बावजूद भी उनके ऊपर ईट - पत्थर , लाठी-डंडे से हमला किया जाता है, पराकाष्ठा तो तब हो गई जब चेन्नई में कोरोना के कारण एक डॉक्टर का निधन हो गया और वहां के नागरिकों ने उनके शव को दफनाने तक नहीं दिया, एंबुलेंस ड्राइवर केे साथ भी मारपीट किया, जिसके बाद दूसरे डॉक्टर ने अकेले शव को दूसरे जगह पर ले जाकर खुद गड्ढा खोदकर किसी तरह से शव को दफनाया. उन्होंने कहा कि कोरोना के युद्ध के दौरान एक डॉक्टर की जान चली गई और उन्हें दो गज जमीन के लिए भी तरसना पड़ा.
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गुमलाः लॉकडाउन को लेकर प्रशासन सख्त, तीसरी आंख से रखी जाएगी नजरगुमला के आएएमए सचिव डॉ. आर एन यादव ने कहा कि इस परिस्थिति में सरकार का यह फर्ज बनता है कि वे डॉक्टरों के लिए कोई सख्त कानून बनाए, जिससे कि इस कठिन समय में अपनी जान जोखिम में डालकर जो लोग इलाज कर रहे हैं उनके प्राणों की रक्षा हो सके, इसलिए आईएमए दिल्ली से यह मैसेज आया है कि 22 अप्रैल की रात 9:00 बजे एक एक मोमबत्ती जलाकर सरकार को हाई अलर्ट देना. उन्होंने कहा कि येलो अलर्ट के बाद भी सरकार कोई अधिसूचना या कानून नहीं बनाती है तो, आगे सभी डॉक्टर अस्पताल में एक-एक मोमबत्ती जलाकर उसे प्रधानमंत्री की वेबसाइट पर टैग किया जाएगा.