रांची: गुमला जिले के बिशुनपुर विधानसभा क्षेत्र की पहचान आंजन के लिए भी होती है. आंजन यानी अंजनी पुत्र की जन्मस्थली. यहां के लोगों की मान्यता है कि हनुमान जी का जन्म इसी जगह हुआ था. इसलिए इसका नाम आंजन पड़ा. रामनवमी के दिन यहां विशेष मेला लगता है.
2005 में बीजेपी का कब्जा
पूजा करने और मेला घूमने के लिए आसपास के जिलों के लोग पहुंचते हैं. राजनीतिक दृष्टिकोण से बिशुनपुर की हवा बदलती रही है. झारखंड गठन से लेकर 2005 के विधानसभा चुनाव तक इस सीट पर बीजेपी का कब्जा हुआ करता था, लेकिन पिछले दो चुनावों से बीजेपी इस सीट को गंवाती आ रही है. साल 2000 के चुनाव में बीजेपी के चंद्रेश उरांव ने कांग्रेस के भुखला भगत को हराया था, लेकिन 2005 के चुनाव में बीजेपी के चंद्रेश उरांव को इस सीट पर दोबारा कब्जा जमाने में पसीने छूट गए थे.
2009 से चमरा लिंडा का कब्जा
उन्हें इस सीट पर बतौर निर्दलीय चमरा लिंडा ने चुनौती दी थी. बीजेपी की जीत महज 569 वोट के अंतर से हुई थी. उस वक्त चमरा लिंडा झारखंड में चर्चित डोमिसाइल आंदोलन की आंच में तपकर निकले थे. आदिवासी बहुल इस क्षेत्र में चमरा ने युवाओं को खासा प्रभावित किया था. चमरा को इस मेहनत का फल 2009 के चुनाव में मिला. उन्होंने बतौर निर्दलीय भारी अंतर से इस सीट पर कब्जा जमा लिया. 2009 के चुनाव में बीजेपी की हालत ऐसी हो गई कि वह कांग्रेस से भी पीछे चली गयी. 2014 के चुनाव में भी चमरा लिंडा सबपर भारी पड़े. तब बीजेपी की ओर से वर्तमान राज्यसभा सांसद समीर उरांव मैदान में थे, लेकिन चमरा के आगे नहीं टिक सके.
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