गुमला: जंगलों और पहाड़ों में रहकर अपनी आजीविका चलाने वाले विलुप्त प्राय आदिम जनजाति के बच्चों को शिक्षा से जोड़ने के लिए कल्याण विभाग द्वारा संपोषित आदिम जनजाति आवासीय विद्यालय चलाया रहा है. स्कूल के संचालन का जिम्मा विकास भारती एनजीओ को दिया गया है. मगर जिले के घाघरा प्रखंड क्षेत्र के तुसगांव आवासीय विद्यालय में पढ़ने वाली छोटी-छोटी बच्चियों की स्थिति काफी दयनीय है.
स्कूल में पढ़ाने के बजाए बच्चियों दैनिक कार्यों के लिए पानी भरवाया जा रहा है. सरकार लाखों करोड़ों रुपए खर्च कर इन बच्चियों को सुविधा मुहैया करवाने का दावा करती है फिर भी पढ़ने पहुंची बच्चियां से पानी भरवाया जाता है. अब ऐसे में इसे शिक्षा का अधिकार अधिनियम और बाल श्रम कानून दोनों का खुला उल्लंघन किया जा रहा है.
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शिक्षा का अधिकार अधिनियम का उल्लंघन
आपको बता दें कि विकास भारती वही एनजीओ है जिस के सचिव को पद्मश्री से सम्मानित किया गया है. लेकिन अब इसी एनजीओ के द्वारा संचालित आदिम जनजाति आवासीय विद्यालय की छोटी-छोटी बच्चियों से उनके शिक्षा का अधिकार अधिनियम का एवं बाल श्रम का खुला उल्लंघन किया जा रहा है.
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