गुमला: जिले के एक आदिवासी महिला को दिल्ली में बंधक बनाकर एक घर में 41 सालों तक काम कराने का मामला सामने आया है. इन 41 सालों में मजदूरी के एवज में महिला को कोई मेहताना भी नहीं मिला. इस मामले का खुलासा तब हुआ, जब महिला दिल्ली से गुमला पहुंची और उसने मजदूर संगठन सीएफटीआई के कार्यालय शांति नगर में पहुंचकर न्याय की गुहार लगाई.
41 सालों तक आदिवासी महिला को बंधक बनाकर दिल्ली में कराई गई मजदूरी, अब पीड़ित ने मजदूर कार्यालय में लगाई न्याय की गुहार
गुमला की एक महिला को बंधक बनाकर मजदूरी कराई गई है. महिला आदिवासी है और उसे 41 सालों से बंधक बना कर मजदूरी कराई जा रही थी. इस मामले में महिला ने मजदूर नेता से न्याय की गुहार लगाई है.
इस दौरान महिला ने बताया कि वह चैनपुर प्रखंड के लूपुंगपाट गांव की रहने वाली है. उसका नाम फुलकेरिया असुर है. महिला ने बताया कि वह जब 10 साल की थी, तभी उसे काम कराने के लिए दिल्ली ले जाया गया था, जहां पर सुनीता कुमारी नाम की महिला के घर में उसे रखा गया था. उसे घर में रखकर ही काम कराया जाता था. उसे घर से बाहर नहीं निकलने दिया जाता था. साथ ही उस पर निगरानी रखी जाती थी. इसके अलावा उसको काम के बदले कोई भी राशि नहीं दी जाती थी.
पैसा नहीं मिला उसका दुख:हालांकि महिला ने बताया कि मालकिन और उसके नाम से एक जॉइंट खाता बैंक में खुलवाया गया था, जिसकी कोई जानकारी उसके पास नहीं है. उसने बताया कि उसके पिता तरसीयूस केरकेट्टा की मौत हो चुकी है. अब वह घर पहुंच कर अपने परिजनों से मिलकर काफी खुश है. लेकिन, उसे दुख इस बात का है कि उसने जिस घर में 41 वर्षों तक मजदूरी की. उसका एक भी पैसा उसे नहीं मिला. उसने अपनी जिंदगी के 41 साल किस तरह से उसने एक ही घर में रहकर काटे हैं, इससे वह पढ़-लिख भी नहीं सकी. दुखड़ा सुनाते हुए महिला रो पड़ी.
मजदूर नेता से महिला ने लगाई न्याय की गुहार: महिला ने न्याय की आस लिए मजदूर संगठन सीएफटीआई के प्रदेश सचिव जुम्मन खान से मुलाकात की है. इस मामले पर मजदूर नेता जुमन ने बताया कि महिला की आत्मकथा सुनने के बाद उन्होंने श्रम अधीक्षक गुमला के अलावा श्रम विभाग झारखंड सरकार को भी इससे अवगत करा दिया है और महिला को न्याय दिलाने की मांग की है.