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विधानसभा चुनाव में समीकरण और परिस्थितियां होती हैं अलग, संसदीय बोर्ड करेगी दावेदारी पर निर्णय: रवींद्र राय - सही व्यक्ति चुनाव में उताराना लक्ष्य

बीजेपी के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष रवींद्र राय एक दिन पहले बीजेपी की ओर से आयोजित एक कार्यक्रम में शामिल हुए. उन्होंने कहा कि टिकट की दावेदारी पर फैसला पार्टी की संसदीय बोर्ड करती है. पार्टी का लक्ष्य सही व्यक्ति को चुनाव में उताराना है.

मंच पर मौजूद रवींद्र राय

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Published : Oct 22, 2019, 2:13 PM IST

गुमला: झारखंड अब धीरे-धीरे चुनावी रंग में रंगने लगा है, सभी दल अपनी-अपनी जमीनी हकीकत को भांपने के लिए जुट गए हैं. बीजेपी के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष रवींद्र राय ने कहा कि पार्टी की चुनाव समिति और संसदीय बोर्ड टिकट बंटवारे और कैंडिडेट की घोषणा करती है. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि लोकसभा चुनाव और विधानसभा चुनाव में समीकरण और परिस्थितियां अलग होती हैं.

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सर्वे के बाद लिया जाता है निर्णय
बीजेपी के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष रवींद्र राय एक दिन पहले बीजेपी की ओर से आयोजित एक कार्यक्रम में शामिल हुए. गुमला पहुंचने पर जब मीडिया ने उनसे पूछा कि लोकसभा चुनाव में जिन बीजेपी विधायकों के विधानसभा क्षेत्रों में बीजेपी पिछड़ गई थी उन विधानसभा क्षेत्रों में उन्हें दोबारा उम्मीदवार बनाया जाएगा या फिर नए चेहरों को उम्मीदवार घोषित किया जाएगा. इस सवाल के जवाब उन्होंने कहा कि लोकसभा और विधानसभा की चुनाव की परिस्थितियां बदल जाती हैं और कई बार वे लोग सर्वे करते हैं कि कठिनाई कहां है उसके बाद अंतिम फैसले पर पहुंचते हैं.

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सही व्यक्ति चुनाव में उताराना लक्ष्य
रवींद्र राय ने आगे कहा कि विधानसभा में उम्मीदवार अधिक होते हैं लोकसभा में उम्मीदवार कम होते हैं. वोटों का विभाजन कम होता है, कई परिस्थितियां हैं. किसी विधानसभा में वोट कम मिले और किसी में अधिक यह उनका आधार नहीं होगा. राय ने कहा कि उनके सोचने का आधार है कि वहां की जनता के साथ जीवन संबंध क्या है और जनता की आवाज क्या है, उसी का अंदाजा लगाकर ही सही व्यक्ति को चुनाव में उतारते हैं.

संसदीय बोर्ड करती है दावेदारों का फैसला
जब रवींद्र राय से पूछा गया कि मुख्यमंत्री घोषणा कर चुके हैं कि लोकसभा चुनाव में जहां भी बीजेपी विधायक पिछड़ गए हैं उन्हें टिकट नहीं दिया जाएगा. इस पर उन्होंने कहा कि बीजेपी की चुनाव समिति बैठती है और वह सारी परिस्थितियों पर विचार करके जो चुनाव लड़ने के इच्छुक होते हैं उनके नामों की चर्चा करके उनकी परिस्थितियों के बारे में केंद्र को अवगत कराया जाता है. इसके बाद संसदीय बोर्ड दावेदारों का फैसला करती है.

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