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बरसात झेलने के लिए तैयार नहीं है गुमला शहर! थोड़ी सी बारिश में खुल जाती है दावों की पोल

झारखंड में मानसून दस्तक देने वाला है. इस बार झारखंड में अच्छी बारिश होने की उम्मीद जताई जा रही है. बारिश को लेकर किसान तो खुश हैं, लेकिन गुमला नगर परिषद क्षेत्र के लोग बरसात का नाम सुनते ही सिहर उठते हैं. बरसात के दिनों में यहां सड़कें तालाब बन जाती हैं.

bad condition of drains system of urban areas in Gumla
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Published : Jun 11, 2020, 6:47 AM IST

गुमला:बहुत जल्द झारखंड में मानसून प्रवेश करने वाला है. मौसम वैज्ञानिकों की माने तो इस साल 15 से 20 जून के बीच झारखंड में मानसून दस्तक देगा. बारिश को लेकर किसान तो खुश हैं, लेकिन गुमला नगर परिषद क्षेत्र के लोग बरसात का नाम सुनते ही सिहर उठते हैं. बरसात के दिनों में यहां सड़कें तालाब बन जाती हैं.

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ऐसे में तय समय पर होने वाली बारिश को लेकर किसान काफी खुश हैं, लेकिन गुमला नगर परिषद क्षेत्र के कुछ ऐसे इलाके हैं, जहां के लोग बरसात में गली-मोहल्ले की सड़कें तलाब बन जाती है. जिससे लोगों को काफी परेशानी होती है. जलजमाव के कारण गुमला नगर परिषद क्षेत्र के लोगों की जिंदगी नारकीय हो जाती है. इसको लेकर नगर परिषद तैयारियों में जुट गया है. अस्पताल प्रबंधन डेंगू और मलेरिया जैसे मौसमी बीमारियों से बचाव के लिए तैयारियों में जुट गया है. वहीं, बारिश के मौसम में बिजली बाधित ना हो इसके लिए बिजली विभाग भी सतर्क हो चुका है. इन सभी तैयारियों की हकीकत जानने के लिए ईटीवी भारत की टीम गली-मोहल्लों का जायजा लिया.

सालों से है परेशानी, लेकिन विभाग सुस्त

शहर के रिहायशी इलाकों में आने वाला इलाका डीएसपी रोड और आजाद बस्ती के लोगों की मानें तो बरसात के दिनों में घर से निकलना बेहद मुश्किल हो जाता है. कुछ इलाकों में पानी से भरी लबा लब रोड की वजह से स्कूली बच्चें स्कूल तक नहीं जा पाते हैं. डीएसपी रोड में सरस्वती शिशु मंदिर से लेकर पूर्व विधायक कमलेश उरांव के घर तक बरसात के दिनों में जलजमाव करीब 2 से 3 फीट तक हो जाता है. ऐसे में सड़क में चलने की बात तो दूर घर के दरवाजे से बाहर निकलना भी लोगों के लिए मुश्किल हो जाता है. स्थानीय लोगों ने इसको लेकर गुमला नगर परिषद के अधिकारियों के सामने सुधार कराने को लेकर कई बार आग्रह भी किया है. स्थानीय लोगों ने कई बार लिखित और मौखिक रूप से गुहार लगाई गई है, लेकिन पिछले 10 सालों से अधिक समय से यह परेशानी जस की तस बनी हुई है.

अधिकारियों ने दी सफाई

इधर, इन सभी मामलों को लेकर नगर परिषद के कार्यपालक पदाधिकारी हातिम ताई ने बताया कि मानसून से पूर्व शहर के सभी छोटी बड़ी नालियों को तेजी से साफ-सफाई कराई जा रही है. उन्होंने कहा कि नगर परिषद में जितने मजदूर हैं उसके अलावा भी बाहर के मजदूरों को लगाकर लगातार सफाई अभियान कराई जा रही है, ताकि लोगों को बरसात के दिनों में कोई परेशानी नहीं उठाना पड़े. वहीं, बारिश के मौसम में डेंगू और मलेरिया जैसी बीमारियां के बढ़ने को लेकर गुमला सदर अस्पताल के सिविल सर्जन डॉ विजया भेंगरा का कहना है अभी सभी अस्पताल के कर्मी कोविड-19 को लेकर कार्य कर रहे हैं, लेकिन जब मानसून शुरू होगी तो ऐसे में मलेरिया और डेंगू का प्रकोप बढ़ने के आसार और ज्यादा बढ़ जाते हैं. इसको लेकर अस्पताल प्रबंधन अपने कर्मियों से जन जागरूकता अभियान चलाते हुए जगह-जगह पर पोस्टर लगवा रहा है.

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बिजली विभाग भी अलर्ट

मानसून के आगमन को लेकर बिजली विभाग भी अलर्ट हो चुका है. बिजली विभाग के कार्यपालक अभियंता सत्यनारायण पातर ने बताया कि बिजली विभाग इसको लेकर पूरी तरह से तैयार है. जिन जगहों पर बिजली के तार पेड़ों से सटे हुए हैं उन जगहों पर पेड़ की डालियों को कटवाया जा रहा है. इसके साथ ही जब बारिश के मौसम में वज्रपात होती है तो ऐसे में बिजली के ट्रांसफार्मर को भी काफी क्षति होती है. ऐसे में विभाग अपने स्तर से ट्रांसफार्मर का स्टॉक कर रही है, ताकि लोगों को बारिश के मौसम में अंधेरों में रहना नहीं पड़े. बहरहाल, गुमला का शहरी इलाका फिलहाल बारिश झेलने के लिए तैयार नहीं है. नाले-नालियों की स्थिति ऐसी है कि जरा सी तेज बारिश में गली-मोहल्ले की सड़कें नदी का रुप ले सकती हैं. नगर पालिका को युद्ध स्तर पर काम करने की जरूरत है.

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