गोड्डा महिला कॉलेज की प्रोफेसर का निशिकांत दुबे पर आरोप गोड्डा: महिला कॉलेज की प्रोफेसर डॉ सुमन लता ने गोड्डा सांसद निशिकांत दुबे पर बड़ा आरोप लगाया है. उन्होंने कहा कि सांसद महिला के अधिकारों का हनन करते हैं. प्रोफेसर डॉ सुमन लता ने कहा कि सांसद सदन में महिलाओं के मुद्दों पर बड़ी-बड़ी बातें करते हैं और गोड्डा में राज्यपाल के आदेश की अवहेलना कर महिलाओं के अधिकारों का हनन करते हैं.
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दरअसल, गोड्डा महिला कॉलेज की गवर्निंग बॉडी के चेयरमैन सांसद निशिकांत दुबे हैं. नियमों के मुताबिक कॉलेज का प्रिंसिपल वही प्रोफेसर हो सकता है जो सबसे सीनियर हो. ऐसे में महिला कॉलेज की सबसे वरिष्ठ शिक्षिका अर्थशास्त्र विभाग की अध्यक्ष डॉ सुमन लता हैं. लेकिन सांसद निशिकांत दुबे ने डॉ. सुमन लता से 20 साल जूनियर प्रो. ललन झा को प्राचार्य नियुक्त कर दिया है. जबकि इस संबंध में राज्यपाल का स्पष्ट आदेश है कि वरिष्ठ प्रोफेसर ही इस पद के हकदार हैं. जब ललन झा की प्राचार्य के पद पर नियुक्ति हुई तो इसका विरोध हुआ.
निशिकांत दुबे अपने प्रभाव का कर रहे गलत इस्तेमाल: इस मामले की जांच कमेटी भी बिठाई गई. जांच कमेटी की रिपोर्ट भी डॉ सुमन लता के पक्ष में आयी. सुमन लता के मुताबिक, सांसद अपने प्रभाव का इस्तेमाल कर राज्यपाल के आदेशों का उल्लंघन कर रहे हैं. उन्होंने यह भी कहा कि यह महिला कॉलेज है, इसलिए लड़कियों की समस्याओं पर ध्यान नहीं दिया जा रहा है. एक महिला प्रिंसिपल ही छात्राओं की परेशानी बेहतर समझ सकती हैं. बता दें कि बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे पर आरोप लगाने वाली महिला प्रोफेसर अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से जुड़ी हुई हैं.
प्रिंसिपल के खिलाफ छात्राएं भी कर रहीं प्रदर्शन:गोड्डा महिला महाविद्यालय जिले का एकमात्र महिला महाविद्यालय है, जो संबद्ध संस्थान है, जहां दो हजार से अधिक लड़कियां पढ़ती हैं. कई छात्राएं वर्तमान प्रिंसिपल के खिलाफ धरने पर भी बैठ गईं हैं. सभी प्रिंसिपल को हटाने की मांग कर रही हैं. उनका मानना है कि छात्राओं के साथ दुर्व्यवहार के साथ-साथ अवैध वसूली भी होती है. साथ ही कॉलेज के शिक्षक भी इस बात के पक्ष में हैं कि डॉ सुमन लता को उनका हक मिलना चाहिए.
गोड्डा महिला कॉलेज के शिक्षकों ने सांसद निशिकांत दुबे की भूमिका पर भी सवाल उठाए हैं. उन्होंने डॉ सुमन लता के समर्थन में काली पट्टी बांधकर प्रदर्शन भी किया. बावजूद उनकी बात नहीं सुनी जा रही है. ऐसे में शिक्षक आगे भी आंदोलन और प्रदर्शन की बात कर रहे हैं.