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सोहराय पर सोशल मीडिया पोस्ट विवादः आदिवासी महिला प्रोफसर के 'बिठलाहा' की धमकी - आदिवासी महिला प्रोफसर को धमकी

गोड्डा में सोहराय पर सोशल मीडिया पोस्ट को लेकर आदिवासी महिला प्रोफसर को धमकी मिल रही है. आदिवासी समाज की ओर से आदिवासी महिला प्रोफसर का बिठलाहा करने और जान से मारने को धमकी मिल रही है. इसको लेकर प्रोफेसर ने सुरक्षा की गुहार लगाई है.

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सोहराय पर सोशल मीडिया पोस्ट

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Published : Jan 14, 2022, 1:24 PM IST

Updated : Jan 14, 2022, 1:39 PM IST

गोड्डाः सोहराय पर सोशल मीडिया पोस्ट को लेकर विवाद गहराता जा रहा है. इसको लेकर आदिवासी महिला प्रोफसर को धमकी मिल रही है. पोस्ट करने के बाद आदिवासी महिला प्रोफेसर रजनी मुर्मू को सामाजिक बहिष्कार (बिठलाहा) किए जाने और जान से मारने की धमकी मिल रही है. इसको लेकर प्रोफेसर ने सुरक्षा की गुहार लगाई है.

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आदिवासियों का महापर्व सोहराय को लेकर एक ओर आदिवासी समाज मे उत्साह और उमंग का माहौल है. दूसरी ओर गोड्डा में इस पर एक सोशल मीडिया पोस्ट के बाद विवाद गहरा गया है. गोड्डा कॉलेज की समाजशास्त्र की असिस्टेंट प्रोफेसर रजनी मुर्मू ने अपने अनुभव को साझा करते हुए सोहराय पर्व के बारे में सोशल मीडिया पर पोस्ट लिखा था. जिसमें उन्होंने बताया कि गोड्डा कॉलेज और एसपी कॉलेज दुमका में सोहराय के मौके पर नशे में धुत्त युवक अश्लील हरकत और भद्दे कमेंट करते हैं. जिस कारण कई बार आदिवासी लड़कियों और महिलाओं को मुश्किल का सामना करना पड़ता है. इसे लेकर आदिवासी समाज के लोगों और आयोजकों को ध्यान देने की जरूरत है. उन्होंने स्वीकार किया कि ऐसे अनुभवो से वो खुद गुजरी हैं.

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प्रोफेसर के इस पोस्ट के बाद आदिवासी समाज द्वारा सोशल मीडिया के साथ-साथ उन्हें फोन पर धमकी मिल रही है. साथ ही उनके विरुद्ध आंदोलन किए जाने साथ ही सामाजिक बहिष्कार (बिठलाहा) किए जाने की भी धमकी मिली है. इसके अलावा प्रोफेसर के खिलाफ दुमका में मामला दर्ज कराए जाने की बात भी कही गयी है. लगातार मिल रही धमकी के मद्देनजर गोड्डा नगर थाना में इसे लेकर सूचना देते हुए प्रोफेसर ने सुरक्षा की गुहार लगाई है. इन बातों के इतर प्रोफेसर रजनी मुर्मू अपनी पर बातों पर अडिग हैं. अपनी सफाई में वो कहती हैं कि उनके द्वारा कुछ भी गलत नहीं कहा गया है और शालीनता से अपनी उचित बात रखी है.


आदिवासियों का सोहराय महापर्व क्या हैः प्रकृति का ये पर्व सोहराय नव वर्ष के स्वागत के साथ मनाया जाता है. साथ ही इसमें कृषि, नयी फसल और मवेशियों की पूजा अर्चना के साथ होता है. जिसमें उन खेतों में जोते जाने वाले गाय, बैल अन्य मवेशियों का धन्यवाद किया जाता है जो उसके वास्तविक अन्नदाता हैं. आदिवासी ये महापर्व सोहराय पांच दिनों तक गांव-गांव में नाच-गाकर मनाया जाता है.

Last Updated : Jan 14, 2022, 1:39 PM IST

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