झारखंड

jharkhand

ETV Bharat / state

विजयदशमी के दिन आदिवासी समाज के लोग पूजा पंडालों में पहुंचे, क्या पूछा आप भी जानिए

गोड्डा में विजयदशमी के दिन हजारों आदिवासी समाज के लोग दुर्गा पूजा पंडालों में पहुंचे और पूछा कि मेरा महिषा कहां है. महिषासुर को आदिवासी समाज अपना इष्ट मानते हैं, जिसकी मरने की खबर पूछने वो पंडालों में पहुंचते हैं. उनकी ये परंपरा सदियों से चली आ रही है.

tribal-society-reached-durga-puja-pandals-to-ask-news-of-mahishasur-in-godda
आदिवासी समाज के लोग पूजा पंडालों में पहुंचे

By

Published : Oct 26, 2020, 9:57 PM IST

Updated : Oct 26, 2020, 10:38 PM IST

गोड्डा: विजयदशमी की खबर आदिवासी समाज को मिलते ही वो झूमना शुरू कर देते हैं. आदिवासी समाज के लोगों को अपने इष्ट और पुरखा राजा महिषासुर के मरने की खबर मिलते ही वो अपने परंपरागत लिबास में अस्त्र-शस्त्र और वाद्य यंत्र के साथ मां दुर्गा के दरबार पहुंचते हैं और पूछते हैं कि बोलो बोलो मेरा महिषा कहां है, उसे कहां छुपाया है, उसे क्यों छल से मारा है. संथाल के आदिवासियों की ये एक अनूठी परंपरा सदियों से चली आ रही है.

देखें पूरी खबर

आदिवासी समुदाय की अनूठी परंपरा

विजयदशमी के मौके पर गोड्डा के ग्रामीण क्षेत्रों के पूजा पंडालों में बड़ी संख्या में आदिवासी समाज पहुंचे और अपने परंपरागत तरीके से भाव प्रकट किए. आदिवासी समुदाय के लोगों ने पूजा पंडालों में पहुंचकर सौहार्द और भाईचारे के अनूठा संगम का नमूना प्रस्तुत किया. दुर्गापूजा में वैसे तो शक्ति की देवी मां दुर्गा की पूजा होती है, लेकिन इसी दौरान आदिवासी समाज अपने इष्ट महिषासुर की तालाश में पहुंचते हैं. वो आम तौर पर दशमी के मेले में झुंड के झुंड आते हैं और पूछते हैं कि बोलो बोलो मेरा महिषा कहां है.

इसे भी पढे़ं:- रांची में सांकेतिक रूप से हुआ सिंदूर खेला का आयोजन, नहीं दिखा उत्साह

खुद को बताते हैं महिषासुर का वंशज

आदिवासी समाज को जैसे ही अपने इष्ट राजा के मरने की खबर मिलती है तभी वह भागता हुआ आता है और सीधे पूजा पंडाल में पूछता की बताओ मेरे महिषासुर का क्या हुआ. पंडाल में काफी समझा बुझाकर उन्हें प्रसाद देकर वापस किया जाता है. उन्हें शांत करने के लिए तुलसी और गंगा जल दिया जाता है, जिससे उनका आक्रोश शांत होता है. विजयादशमी के दिन हजारों की संख्या में अंतिम वक्त में आदिवासी पूजा पंडालों में पहुंचते हैं. उनका मानना है उनके राजा इष्ट महिषासुर को धोखे से मारा गया है. उनका कहना है कि महिषासुर का असली नाम महिषा सोरेन है और हम सभी आदिवासी परिवार उन्हीं के वंशज हैं.

Last Updated : Oct 26, 2020, 10:38 PM IST

ABOUT THE AUTHOR

...view details