गोड्डा: झारखंड मुक्ति मोर्चा के दो पुराने दिग्गज एक-दूसरे को शह और मात के खेल में अपने-अपने तरीके से बिसात बिछाने में जुटे हैं, लेकिन इस पूरे खेल के केंद्र में है झामुमो के युवराज पार्टी के कार्यकारी अध्यक्ष मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन हैं. अभी हाल में झारखंड सरकार के मुखिया हेमंत सोरेन ने 1932 खतियान के तहत संथाल परगना में पहली सभा गोड्डा के मेला मैदान में 15 दिसंबर को की थी. जिसकी सफलता के लिए झामुमो समेत महागठबंधन के सभी घटक दल कांग्रेस, राजद और अन्य सहयोगियों ने पूरी ताकत झोंक दी थी, लेकिन मंच पर दो चीजों ने लोगों को चौंका दिया. पहला ये कि गोड्डा में कार्यक्रम था, लेकिन गोड्डा के ही रहने वाले बोरियो विधायक लोबिन हेंब्रम कही नहीं (MLA Lobin Hembram Not Seen in Khatiani Johar Yatra) दिखे. वहीं दूसरी ओर भाजपा नेता और पार्टी के पूर्व प्रदेश उपाध्यक्ष हेमलाल मुर्मू हेमंत सोरेन के पिछले कतार में मौजूद थे.
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लोबिन हेंब्रम बोरियो से पांच बार विधायक रहे हैंःलोबिन हेंब्रम बोरियो से पांच बार विधायक रह चुके हैं. पिछली हेमंत सोरेन की सरकार में खाद्य आपूर्ति मंत्री भी लोबिन रह चुके हैं. 1990 में पहली बार लोबिन हेंब्रम बोरियो से झामुमो की टिकट पर चुनाव जीता. लेकिन 1995 में झामुमो ने लोबिन की जगह टिकट जॉन हेंब्रम को दे दिया तो लोबिन हेंब्रम ने निर्दलीय चुनाव लड़ा और जीत दर्ज की. हालांकि बाद में झामुमो में फिर से शामिल हो गए. इसके बाद तीन बार फिर वे बोरियो से चुनाव जीते.
लोबिन हेंब्रम हेमंत सोरेन से खफा!: हाल के दिनों में विधायक लोबिन हेंब्रम मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से खफा हैं. कई ऐसे मौके आए जब उन्होंने अपनी ही सरकार को कठघरे में खड़ा किया और आंखें (Lobin Hembrum Angry On Own Government) तरेरी. साथ ही कहा कि वो शिबू सोरेन के चेले हैं, पार्टी नहीं छोड़ेंगे. मुझे निकालना है तो पार्टी से निकाल दें. उन्होंने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के विधायक प्रतिनिधि पंकज मिश्रा की कार्य प्रणाली पर भी सवाल उठाया था. कुछ दिन पूर्व विधायक के पुत्र की गिरफ्तारी भी हुई थी. उन पर आरोप था कि उसने दस्तावेज की हेराफेरी कर इसीएल में नौकरी ली थी. विधायक को इस पूरे मामले में ये लगा कि ये सब कुछ सरकार के इशारे पर हुआ है. साथ ही सरकार के कुछ निर्णय का विरोध था. वहीं लोबिन हेंब्रम 1932 के खतियान को लागू करने के लिए खुद राज्यव्यापी मुहिम में जुटे थे. अब जब राज्य में ये विधेयक पारित हुआ तो उन्होंने भी जश्न मनाया और फिर लोबिन हेंब्रम की नाराजगी खत्म करने के लिए खुद गुरुजी शिबू सोरेन ने भी पहल की थी, लेकिन खतियानी जोहार यात्रा से लोबिन हेंब्रम का दूर रहना यह संकेत करता है कि लोबिन हेंब्रम और मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के बीच सब ठीक नहीं है.
हेमलाल के जैकेट का बदला रंग दे रहा कुछ संकेतः वहीं हेमलाल मुर्मू (BJP Leader Hemlal Murmu) जो कभी झामुमो में नंबर दो की हैसियत रखते थे, लेकिन टिकट बंटवारे को लेकर हुई खटपट के बाद झामुमो का साथ छोड़ 2014 में भाजपा में शामिल हो गए. इसके बाद हेमलाल मुर्मू ने चार चुनाव लड़ा, लेकिन सभी हार गए. जबकि वे चार बार बरहेट से विधायक और राजमहल से एक बार सांसद भी झामुमो के टिकट पर रह चुके हैं. वे पिछली हेमंत सरकार में स्वास्थ्य मंत्री भी थे. फिलहाल वे भाजपा में ही हैं, लेकिन उनके भगवा जैकेट का बदला रंग बता रहा है कि उनका दिल अब भाजपा में नहीं लग रहा है. उन्होंने जैकेट के रंग ही नहीं बदले वे खतियानी यात्रा के दौरान हेमंत सोरेन के मंच पर पिछली कतार में भी दिखे. इस संबंध में उन्होंने कहा कि सीएम हेमंत सोरेन का भाषण सुनने आए हैं. गौरतलब हो कि हेमलाल हेमंत सोरेन सरकार के कामकाज की तारीफ भी कर चुके हैं. ऐसे में लगता है कुछ खेल हो रहा है.
आगामी विधानसभा चुनाव में कट सकता है लोबिन का टिकट!: चर्चा तो यह है कि हेमंत सोरेन आगामी विधानसभा चुनाव में लोबिन हेंब्रम का टिकट काट सकते हैं, क्योंकि कई मंच पर लोबिन हेंब्रम हेमंत सोरेन के विरुद्ध बागी तेवर दिखा चुके हैं. वहीं हवा तो ये भी उड़ी है कि कहीं लोबिन हेंब्रम भाजपा में न चले जाएं. हालांकि लोबिन हेंब्रम ने इसका खंडन किया है. उन्होंने कहा कि किसी कीमत पर पार्टी नही छोडूंगा. तो दूसरी ओर हेमलाल मुर्मू को समझ में आ गया है कि भाजपा में रहकर उनका चुनाव जीतने का सपना शायद ही पूरा हो और ऐसे में किसी तरह भतीजा हेमंत सोरेन को पुराने रिश्ते का हवाला देकर घर वापसी किया जाए. वहीं अगर लोबिन का टिकट कटता है तो हेमलाल अपनी गोटी फिट करने की बात सोच सकते हैं. हालांकि हेमलाल मुर्मू भी अभी सीधे-सीधे भाजपा छोड़ने की बात नहीं कहते हैं.
राजनीति अनिश्चितताओं का खेलः राजनीति तो अनिश्चितताओं का खेल है. जहां कुछ भी संभव है. क्या पता लोबिन कल झामुमो से टिकट कटने पर भाजपाई हो जाएं और झामुमो से भाजपाई बने हेमलाल फिर से झामुमो में आकर बोरियो से उम्मीदवार हो जाएं. ये सब कुछ भविष्य के गर्त में है, लेकिन इन बातों से इंकार भी नहीं किया जा सकता है. इससे पहले स्टीफन मरांडी, साइमन मरांडी सरीखे नेताओं ने झामुमो छोड़ी और फिर वापस झामुमो में लौटे हैं और चुनाव जीते हैं. हालांकि ये सारी बातें अभी हवाओं में तैर रही है, लेकिन इससे कोई इंकार भी सीधे-सीधे नहीं करता और कब कौन इन हो जाये और कौन आउट पता नहीं