गोड्डा: सरकार के पढ़ने-पढ़ाने के दावे का सच ये है कि जिला मुख्यालय से 10 किमी की दूरी पर स्थित पथरगामा के बिसाहा पंचायत में रहने वाले 70 दलित परिवारों में कोई भी आज तक मैट्रिक की शिक्षा तक नहीं प्राप्त कर सका है. एक दो लोग आठवीं तक पढ़े हैं. इन लोगों का कहना है कि ये भूमिहीन हैं, जमीन जो मिली उस पर अधिकार नहीं मिला. निवास, जाति प्रमाणपत्र बनते नहीं. इस कारण बच्चे नहीं पढ़ते हैं.
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गोड्डा में पथरगामा प्रखंड की विसाहा पंचायत अंतर्गत 70 दलित परिवार रहते हैं, लेकिन इनके बीच शिक्षा का घोर अभाव है. यही वजह है कि इन 70 परिवारों में एक भी व्यक्ति नहीं है, जिसने मैट्रिक की परीक्षा पास की हो. दरअसल, 70 घरों के दलित परिवार पीढ़ियों से यहां रह तो रहे हैं, लेकिन इनके पास अपनी कोई रहने की रैयती जमीन नहीं है. स्थानीय कुछ जमींदारों ने उन्हें अपनी जमीन पर रहने दे रखा है. हालांकि इस जमीन के आधार पर उनका मालिकाना हक नहीं है. नतीजतन उनका अपना पर्चा नहीं बना और इस कारण उनके बच्चों के निवास या जाति प्रमाण पत्र नहीं बन पाते.
सरकारी योजनाओं का नहीं मिलता फायदा
ऐसे में गांव के बच्चों का दर्द है कि वो विद्यालय में नामांकन भी नहीं करा पाते. उन्हें सरकारी योजनाओं का लाभ भी नहीं मिल पाता. इन सभी दलित भूमिहीन परिवारों को सरकार की ओर से रहने के लिए खाली सरकारी जमीन भी बंदोबस्त किए गए हैं. उनका कहना है कि उस जमीन और कुछ स्थानीय दबंगों का कब्जा है. इस कारण वो घर नहीं बना पाए. ये मामला पिछले 5 सालों से अटका है. ये जमीन का मसला जब सुलझेगा तब सुलझेगा, लेकिन इसकी वजह से पीढ़ियां तबाह हो रही है. उसी का नतीजा है कि गांव में आज तक कोई मैट्रिक पास नहीं है.