गोड्डा: जिले में आयोजित सब जूनियर नेटबॉल चैंपियनशिप एवं फास्ट फाइव नेटबॉल चैंपियनशिप सफलतापूर्वक संपन्न हो गयी. आयोजन को लेकर सरकार को हर तरफ से सराहना मिली है. लेकिन इन तालियों के बीच कई ऐसे नजारे भी देखने को मिले जिसने कई सवाल खड़े कर दिए. चाहे राजनीतिक बयानबाजी हो या फिर मंत्रियों का आयोजनों से दूरी बनाना. या फिर ये उन खिलाड़ियों के दर्द की बात हो सकती है जिन्होंने अपने खर्चे पर इस राज्य स्तरीय प्रतियोगिता में हिस्सा लिया है.
दरअसल, गोड्डा में राष्ट्रीय नेटबॉल प्रतियोगिता के सफल समापन के बाद नेशनल फेडरेशन ऑफ नेटबॉल के विकास समिति के अध्यक्ष हरिओम कौशिक ने भी माना कि आज तक के इतिहास में नेटबॉल का ऐसा कोई आयोजन नहीं हुआ है. ये ऐतिहासिक था. वैसे तो आम तौर पर इस स्तर पर बड़े खेल आयोजन होते हैं, लेकिन ओलंपिक और एशियाई खेलों का हिस्सा नहीं होने के बावजूद झारखंड सरकार ने नेटबॉल के आयोजन के लिए इस खेल के बारे में बहुत सोचा और आयोजन को भव्य बनाया. ये काफी सराहनीय है.
सियासी बयानबाजी:एक तरफ जहां झारखंड सरकार की खूब तारीफ हुई, वहीं दूसरी तरफ सियासी बयानबाजी भी हुई. दरअसल, राज्य सरकार की ओर से आयोजित इस प्रतियोगिता के समापन में जिला प्रशासन के अलावा सरकार का कोई प्रतिनिधि शामिल नहीं हुआ. दिलचस्प बात यह है कि निमंत्रण पत्र में दो मंत्रियों हफीजुल अंसारी और आलमगीर आलम के अलावा दो सांसदों और चार विधायकों के नाम का जिक्र था. इसके बावजूद उनमें से कोई नहीं आया. बाद में खेल मंत्री हफीजुल अंसारी और आयोजन सचिव विधायक दीपिका पांडे सिंह की ओर से जरूरी निजी कारणों का हवाला दिया गया. लेकिन दूसरों ने वो भी नहीं बताया. इससे एक बात तो तय है कि अंदरखाने में राजनीतिक रस्साकशी और श्रेय लेने की होड़ जैसी बातें चलती रहीं और कुछ राजनीतिक बयान भी दिए गए.
पोड़ैयाहाट विधायक प्रदीप यादव के इस आयोजन से दूर रहने पर बीजेपी विधायक अमित मंडल ने एक बयान में कहा कि पोड़ैयाहाट विधायक प्रदीप यादव को सोचना चाहिए कि उनकी ही पार्टी की विधायक दीपिका पांडे सिंह ने उन्हें पूरे खेल आयोजन से क्यों किनारे कर दिया. राज्य सरकार के कार्यक्रम में किसी भी सरकारी प्रतिनिधि की अनुपस्थिति निश्चित तौर पर सवाल खड़े करती है. इससे यह भी संदेश जाता है कि जनता के चुने हुए प्रतिनिधियों का खेल के प्रति कितना जुड़ाव है.
खिलाड़ियों का दर्द:इस प्रतियोगिता के दौरान खिलाड़ियों का दर्द भी सामने आया. कई राज्यों से आये खिलाड़ियों ने बताया कि उन्हें अपने खर्चे पर इस प्रतियोगिता में भाग लेना पड़ा. उनकी राज्य सरकार या फेडरेशन की ओर से उन्हें कोई मदद नहीं दी गयी. हालांकि, कई राज्यों के खिलाड़ियों ने कहा कि उनकी सरकार ने उन्हें पूरी मदद दी है. इनमें तमिलनाडु और बिहार के खिलाड़ी शामिल थे. जबकि पंजाब, मणिपुर, मध्य प्रदेश और आंध्र प्रदेश के खिलाड़ियों ने साफ कहा कि उन्हें सरकार से कोई मदद नहीं मिली है.