गोड्डा: मतदान के महत्व पर साहित्यकार और कवि ज्ञानेंद्रपति से ईटीवी भारत के संवाददाता ने खास बातचीत की, जिसमें उन्होंने अपनी बातों को बेबाकी से रखा. उन्होंने कहा कि लोकतंत्र में मताधिकार एक ऐसी प्रक्रिया है, जिसमें आप अपने पसंद के उम्मीदवार को चुनते हैं.
देखें साहित्यकार ज्ञानेंद्रपति से खास बातचीत साहित्यकार ज्ञानेंद्रपति ने बातचीत के दौरान कहा कहा कि कई बार आपको लगता है कि आपके पसंद के प्रत्याशी नहीं हैं, तो आपके पास NOTA का ऑप्शन है, जिसके माध्यम से आप ये जता सकते हैं कि कोई भी प्रत्याशी मुझे पसंद नहीं है. ऐसे में आप अपनी नाराजगी भी मतदान के माध्यम से रख सकते हैं.
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उम्मीदवारों के व्यक्तित्व और आचरण को परखना जरूरी
ज्ञानेंद्रपति ने कहा कि आप उम्मीदवारों के व्यक्तित्व और आचरण को परखकर ही उन्हें वोट करें, जिसे आप मत दे रहे हैं वो धरातल पर कितना खरा उतर सकता है, वो शोषित, दलित और वंचित की आवाज बनने में कितना कारगर है. उन्होंने लोगों से उसे ही वोट करने की अपील की जो उनकी बातों को सही मंच पर रख सकता है.
मेनिफेस्टो पर उठाए सवाल
कवि ज्ञानेंद्रपति ने राजनीतिक दलों के मेनिफेस्टो पर सवाल उठाते हुए कहा कि ये पूरी तरह से बेईमानी हो गई है. मेनिफेस्टो का कोई मतलब मायने नहीं रह गया है. ऐसे में मतदाता वैसे उम्मीदवारों का चयन करें, जिससे उनका सरल संवाद हो सके.
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ज्ञानेंद्रपति गोड्डा जिले के पथरगामा के रहने वाले हैं. उन्हें वर्ष 2006 में संशयात्मा शीर्षक कविता संग्रह के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार के अलावा कई और भी सम्मान मिल चुके हैं. वो फिलहाल बनारस में रह रहे हैं. उनके गंगा तट, कवि ने कहा, आंख बनते हाथ, समेत कई रचनाओं की काफी सराहना हुई है.