गोड्डा संवाददाता की ग्राउंड रिपोर्ट गोड्डाः जिला का सुंदरपहाड़ी बम्बू प्लांट, 10 साल पहले बड़े उत्साह के साथ इसकी शुरुआत की गयी थी. बम्बू ट्रीटमेंट प्लांट से लोगों की उम्मीदें जुड़ीं, खुद के हुनर को तराशने का मौका मिला और बाजार को सुंदर सजावट का सामान मिला. लेकिन आज इसका हाल ऐसा है कि मशीनें धूल फांक रही हैं, लकड़ियों में दीमक लग चुकी है, करोड़ों की लागत से बने इन भवनों को देखने वाला कोई नहीं है.
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केंद्रीय टेक्सटाइल मिनिस्ट्री और झारक्राफ्ट के द्वारा संयुक्त हिस्सेदारी से लगभग 7 करोड़ की लागत से इसकी शुरुआत हुई. सुंदरपहाड़ी में इसका निर्माण कराया गया, जमीन की उपलब्धता को ध्यान में रखते हुए सुदरपहाड़ी प्रखंड से सटे गोड्डा जिला की जमीन पर निर्माण किया गया, लेकिन बोर्ड पर सुंदरपहाड़ी ही अंकित है. इसके निर्माण में तत्कालीन स्वास्थ्य मंत्री हेमलाल मुर्मू की बड़ी भूमिका रही. बम्बू ट्रीटमेंट प्लांट की शुरुआत भव्य तरीके से की गयी, जिसका उद्देश्य था कि बांस खरीद कर, त्रिपुरा से कारीगर लाकर इससे साज सज्जा के सामान बनाये जाएंगे, जिससे लोगों को प्रशिक्षण देकर उन्हें स्वरोजगार से जोड़ा जाएगा. इसके अलावा एक छत के नीचे सिल्क के ककून के उत्पादन को देखते हुए झारक्राफ्ट के माध्यम से सिल्क सेंटर की शुरुआत भी हुई.
लेकिन धीरे-धीरे इस प्लांट में लापरवाही और अनदेखी की दीमक लगती गयी और आज आलम ऐसा है कि पूरा का पूरा प्लांट झाड़, झुरमुठ और जंगल में तब्दील हो गया है. हालात ऐसे हैं कि 40 कमरों का ये पूरा परिसर उजाड़ और वीराना हो गया है, अब लोग यहां आने से भी डरते हैं. करोड़ों की लागत और अनगिनत उम्मीदों पर आज धूल की मोटी परत चढ़ गयी है, करोड़ों का सामान बर्बाद हो रहा है.
इस प्लांट की बदहाली को लेकर स्थानीय लोगों का कहना है कि पिछले 6 माह से कोई दरबान भी नहीं है, जनता का इतना सारा पैसा खर्च हुआ लेकिन इसे देखने वाला कोई नहीं. केंद्र की ओर से कोई पहल नहीं हुई और ना ही राज्य सरकार ने इसकी सुध ली. पूर्व मंत्री हेमलाल मुर्मू कहते हैं कि उनके प्रयास से क्षेत्र के विकास के लिए इस प्लांट की शुरुआत की गई, लेकिन उनके बाद में किसी ने इस प्लांट की सुध नहीं ली.