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लेमन ग्रास की खेती से स्वावलंबी हो रही हैं गिरिडीह की महिलाएं, JSLPS का मिल रहा सहयोग

गिरिडीह के चार प्रखंड पीरटांड़, देवरी, तिसरी और गांडेय की महिलाएं इन दिनों लेमन ग्रास की खेती से जुड़ी हुई हैं और अपने परिवार के साथ-साथ क्षेत्र का नाम रोशन रही हैं.

women being self-reliant by Lemon grass cultivation in Giridih
लेमन ग्रास की खेती से स्वावलंबी हो रही हैं गिरिडीह की महिलाएं

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Published : Mar 9, 2021, 4:37 PM IST

Updated : Mar 9, 2021, 5:13 PM IST

गिरिडीह:खेती के माध्यम से जिले के चार प्रखंड की महिलाएं न सिर्फ अपने पैरों पर खड़ी हो रही हैं, बल्कि अपने परिवार की गाड़ी भी खींच रही हैं. ये महिलाएं लेमन ग्रास की खेती कर अपने क्षेत्र का नाम रोशन कर रहीं हैं.

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4 सौ एकड़ में की जा रही है खेती
गिरिडीह जिले के उग्रवाद प्रभावित पीरटांड़, देवरी, तिसरी और गांडेय की महिलाएं इन दिनों लेमन ग्रास की खेती से जुड़ी हैं. इन चारों प्रखंड की लगभग एक हजार महिलाएं इस खेती को कर रही हैं और इससे होने वाली आमदनी से घर की गाड़ी भी आगे बढ़ा रही हैं. अभी इन महिलाओं की ओर से चारों प्रखंड के करीब 4 सौ एकड़ में यह खेती की जा रही है.

शुरुआत में हुई थी परेशानी
इस मामले पर देवरी प्रखंड में लेमन ग्रास की खेती कर रही नीतू कुमारी और सुभाषी देवी का कहना है कि वे पहले स्वयं सहायता समूह से जुड़ी. इसके बाद इन्हें पता चला कि जोहार परियोजना के तहत झारखंड स्टेट लाइब्लीहुड सोसायटी की ओर से महिलाओं से लेमन ग्रास की खेती करवायी जाती है. इस खेती से हर महिला 25 से 40 हजार रुपए सालाना की कमाई कर लेती है. इस जानकारी के बाद वे भी लेमन ग्रास की खेती करने लगी है. उन्होंने बताया कि शुरुआत में उनलोगों को थोड़ी परेशानी हुई थी, लेकिन अब नहीं होती है.

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तेल निकालने की प्रोसेसिंग यूनिट की तैयारी
जेएसपीएलएस के अमन राज ने बताया कि लेमन ग्रास से जुड़ी महिलाओं ने एक साल के दरमियान पचास-पचास हजार रुपए की कमाई की है. चारों ब्लॉक में 50 एकड़ से अधिक की खेती कराई गई है. इस ग्रास की खासियत है कि जैसे ही यह घास बड़ी होती है, जानवर इसे नहीं खाते हैं. इस घास से तेल निकाला जाता है. उन्होंने कहा कि जल्द ही गिरिडीह के गांडेय में तेल निकालने का प्रोसेसिंग यूनिट भी लगेगा. इस योजना से जुड़ी महिलाएं खूब मेहनत कर रही हैं और स्वावलंबी बन रही हैं.

Last Updated : Mar 9, 2021, 5:13 PM IST

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