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गिरिडीह में सीसीएल के खिलाफ ग्रामीण हुए गोलबंद, कहा- पहले बसाया अब उजाड़ने में जुटा है प्रबंधन

गिरिडीह में सीसीएल के खिलाफ ग्रामीण गोलबंद हो गए हैं. वो सीसीएल की कार्रवाई का विरोध कर रहे हैं. उनका कहना है कि वो कई वर्षों से इसी जमीन पर बसे हैं अब प्रबंधन उन्हें हटाने की तैयारी कर रहा (villagers protest against ccl land encroachment in giridih) है. लेकिन इस बार लोगों ने निर्माणाधीन मकान को तोड़ने पहुंचे सीसीएलकर्मियों को वापस जाने पर मजबूर कर दिया.

Giridih Villegers protest against CCL
Giridih Villegers protest against CCL

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Published : Nov 27, 2022, 9:28 AM IST

गिरिडीह: सीसीएल की भूमि पर दशकों से बसे लोगों को उजाड़ने का विरोध शुरू (villagers protest against ccl land encroachment in giridih) हो गया है. यह विरोध महेशलुंडी पंचायत के लोगों ने किया है. ग्रामीणों ने एक पुराने मकान का पुनर्निमाण कार्य को रोकने और जेसीबी से तोड़ने के प्रयास का विरोध किया. लोगों के विरोध के बाद सीसीएल की टीम को वापस जाना पड़ा.

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गिरिडीह में सीसीएल के खिलाफ प्रदर्शन करते हुए अतिक्रमण का विरोध किया (protest in giridih) और सीसीएल प्रबंधन के खिलाफ नारेबाजी की. इस विरोध प्रदर्शन के दौरान लोगों ने साफ कहा कि महेशलुंडी - करहरबारी पंचायत के सैकड़ों लोगों की जमीन कोयला खनन में चली गई. लोग खेती से वंचित हो गए, अब दशकों से रह रहे लोगों को उजाड़ने का प्रयास सरकार कर रही है.

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गुलाम भारत के समय से लोग यहां पर बसे हैं:इस मामले पर ग्रामीणों का नेतृत्व कर रहे महेशलुंडी पंचायत के मुखिया शिवनाथ साव का कहना है कि गुलाम भारत के समय से ही लोग यहां पर बसे हैं. उस वक्त ईस्ट इंडिया रेलवे ने लोगों को बसाने का काम किया. ईस्ट इंडिया के जाने के बाद एनसीडीसी और उसके बाद सीसीएल ने भी लोगों को सहयोग किया और यहां बिजली-पानी की व्यवस्था की गई. वर्ष 1990 तक सीसीएल तो इस पंचायत के लोगों से मालगुजारी लेती रही. यहां के सैकड़ों लोगों की जमीन कोलियरी में गई है, जिन्हें मुआवजा भी नहीं मिला है. जो लोग यहां जन्मे, जिनके पूर्वजों की जान इसी मिट्टी में चली गई वे अतिक्रमणकारी हो गए. जबकि शहरी इलाके में, शहर से सटे इलाके में बाहर के लोगों ने आकर मकान बना लिया. उस तरफ कभी भी सीसीएल प्रबंधन ने ध्यान नहीं दिया.


उग्र आंदोलन की चेतावनी :मुखिया और स्थानीय लोगों ने कहा कि कोलियरी के उत्थान में महेशलुंडी, करहरबारी समेत कई पंचायत के लोगों का योगदान रहा है. यहां के मूलवासी हमेशा से ही कोलियरी का हित सोचते रहे हैं. अब जिन मूलवासियों को बसाया गया उन्हें उजाड़ने का प्रयास असहनीय है. कहा कि महेशलुंडी पंचायत के सीमा के अंदर रहनेवालों को तंग किया गया तो हम उग्र आंदोलन से भी पीछे नहीं हटेंगे.

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