गिरिडीह:कोयलकर्मियों का 11 वां वेतन समझौता लागू नहीं हो सका है. जबकि इस समझौते को लेकर कई दफा कोल इंडिया के पदाधिकारियों और मजदूर नेताओं की बैठक हो चुकी है. अब इस मामले को लेकर ट्रेड यूनियनों ने आंदोलन शुरू (Trade Union Movement on Wage Settlement) कर दिया है. हालांकि राष्ट्रीय कोलियरी मजदूर संघ (National Colliery Workers Union) ने इस आंदोलन से खुद को दूर रखा है.
वेतन समझौता के नाम पर कोलकर्मियों को मिली तारीख पर तारीख, आंदोलन पर उतरे ट्रेड यूनियन
कोयलकर्मियों का वेतन समझौता लागू न होने से नाराज ट्रेड यूनियन ने आंदोलन शुरू (Trade Union Movement on Wage Settlement) कर दिया है. गौरतलब है कि कोल इंडिया के 2.62 लाख मजदूरों का वेतन समझौता लंबित पड़ा हुआ है. सात बार की बैठक में भी इस समस्या का समाधान नहीं हो पाया है.
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प्रबंधन के खिलाफ आंदोलन: कोल इंडिया के 2.62 लाख मजदूरों का वेतन समझौता लम्बित पड़ा हुआ है. वेतन समझौते को लेकर गठित जेबीसीसीआइ कमेटी की बैठक इस मुद्दे को लेकर जुलाई 2021 से नवम्बर 2022 तक सात दफा हो चुकी है लेकिन कोई नतीजा नहीं निकला है. ऐसे में ट्रेड यूनियन ने संयुक्त मोर्चा का गठन कर प्रबंधन के खिलाफ आंदोलन शुरू किया है. शुक्रवार को सीसीएल गिरिडीह परियोजना में भी संयुक्त मोर्चा के बैनर तले विरोध दिवस मनाया गया.
कौन कौन रहा शामिल:यहां मजदूर नेता हरगौरी साहू, तेजलाल मंडल, सीताराम हांसदा, जगत पासवान, चुड़का हांसदा, अर्जुन मंडल, राजू यादव, बिरसा हांसदा, अमित यादव, देवशंकर मिश्रा, प्रमोद सिंह, अशोक दास, उमेश राणा, दिलीप मंडल समेत कई नेता और कार्यकर्ता पहुंचे और प्रबंधन के खिलाफ जमकर नारेबाजी की.
विरोध दिवस का बहिष्कार: दूसरी तरफ राष्ट्रीय कोलियरी मजदूर संघ के ऋषिकेश मिश्रा ने प्रेस रिलीज जारी कर इस विरोध दिवस का बहिष्कार किया. उन्होंने जारी किए अपने बयान में कहा है कि कुछ श्रमिक संगठनों द्वारा मजदूरों की मार्केटिंग करने का काम किया जा रहा है. कहा कि संघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष चंद्रशेखर दुबे द्वारा मजदूरों के हितों के लिए जारी किए गए प्रेस बयान का समर्थन कोयला मंत्री ने किया था. ऐसे में इस तरह का विरोध दिवस मनाने का कोई औचित्य ही नहीं है.