बगोदर/गिरिडीहः शिक्षा के बगैर जीवन अधूरा है और शिक्षक के बिना ज्ञान नहीं मिलता. शिक्षक वही है जो हमारी तकदीर बदलते हैं, हमें प्रेरणा देते हैं. शिक्षक दिवस पर हम ऐसे ही दो शिक्षकों से आपको रूबरू करा रहे हैं, जो सबके लिए प्रेरणास्त्रोत हैं. वे दो शिक्षक हैं बगोदर हाई स्कूल के सेवानिवृत्त प्रधानाध्यापक कमलदेव सिंह और बगोदर हाई स्कूल के सेवानिवृत्त शिक्षक बिष्णु बिंद.
सेवानिवृत्ति के बाद भी दे रहे तालीम
सेवानिवृत्ति के बाद जहां ज्यादातर लोग खुद को घर की चाहरदीवारी में सिमटाकर आरामपसंद हो जाते हैं. वहीं इन दोनों ही शिक्षकों ने सेवानिवृत्त हो जाने के बावजूद शिक्षा से नाता नहीं तोड़ा. उम्र ढलने के बावजूद वे आज भी बच्चों को तालीम दे रहे हैं.
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कमलदेव सिंह को राज्य सरकार ने भी किया है सम्मानित
कमलदेव सिंह सेवानिवृत्ति के पहले भी शिक्षा के क्षेत्र में सुधार के लिए लगातार प्रयासरत थे. बगोदर में शिक्षा को बढ़ावा देने और शिक्षा की जागरूकता में इनका बड़ा योगदान है. शिक्षा के प्रति उनके इसी भाव का असर है कि उन्हें एकीकृत बिहार के समय बच्चों को बेहतर तालीम और अनुशासन के लिए तत्कालीन सीएम लालू यादव ने पुरस्कृत किया था. वहीं 85 की उम्र में सिंह आज भी प्रशिक्षु शिक्षकों को तालीम के साथ अनुशासन का पाठ पढ़ा रहे हैं. ये आज भी बगोदर के रामकृष्ण विवेकानंद कॉलेज ऑफ एडुकेशन की मॉनिटरिंग कर रहे हैं. सबसे बड़ी बात है कि कॉलेज की स्थापना भी इनके प्रयास के कारण ही संभव हो सका है.
बिष्णु बिंद ने की है एक स्कूल की स्थापना
वहीं शिक्षक बिष्णु बिंद की उम्र 80 साल है. शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए इन्होंने एक स्कूल की स्थापना की है. जहां वे नियमित रूप से जाकर बच्चों को अनुशासन का पाठ पढ़ाते हुए देश के भविष्य निर्माण में अपना अमूल्य योगदान दे रहे हैं.