बगोदर, गिरिडीह:देशभर में आजादी का जश्न मनाया जा रहा है. इसे लेकर विभिन्न सरकारी व गैर सरकारी संस्थानों में देश की आन, बान और शान तिरंगा झंडा लहराया जा रहा है. आज जब हम आजाद हैं तब हमें आजादी के पीछे की कहानी भी जानने की जरूरत है. देश को आजादी दिलाने की कहानी बगोदर से भी जुड़ा हुआ है. यहां भी स्वतंत्रता सेनानी थे जिन्होंने अंग्रेजों से लोहा लिया था.
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गिरिडीह के तीन स्वतंत्रता सेनानी तुला महतो, अकल महतो एवं जीतन राम महतो की चर्चा बहुत हुआ करती थी. ये लोग आजादी के आंदोलन के दौरान जेल भी गए थे. हालांकि इनमें से अब एक भी जीवित नहीं रहे. इसमें एक तुला महतो बेको के मुखिया भी हुआ करते थे. ये तीनों स्वतंत्रता सेनानियों ने स्वतंत्रता संग्राम में अपना बहुमूल्य योगदान दिया था. आजादी की लड़ाई में बगोदर इलाके का ये तीनों प्रतिनिधित्व करते थे.
आंदोलन के दौरान कई तरह की यातनाओं को तीनों ने सहा. इसके अलावा हजारीबाग सेंट्रल जेल में भी तीनों को छह महीने तक बंद रहना पड़ा था. जब भारत आजाद हुआ तब तीनों को स्वतंत्रता सेनानी का पेंशन मिलना शुरू हुआ. स्वतंत्रता सेनानियों के निधन के बाद उनकी विधवा पत्नी को भी पेंशन का लाभ मिला. फिलहाल स्वतंत्रता सेनानी स्वर्गीय अकल महतो की बेटी कुमारी धुंधी को स्वतंत्रता सेनानी का पेंशन मिल रहा है. कुमारी धुंधी का उम्र भी ढल गया है और इन दिनों काफी बीमार रहतीं हैं.
आजादी के वर्षगांठ पर ईटीवी भारत की टीम तीनों स्वतंत्रता सेनानियों के घर पहुंची एवं परिवार की स्थिति का जायजा लिया. स्वतंत्रता सेनानी के परिजनों को तो सरकारी व्यवस्था का खास लाभ नहीं मिल रहा है. स्वतंत्रता सेनानी स्वर्गीय तुला महतो के वंशज के तीन चार परिवार को राशन कार्ड तक नहीं है. मीना देवी, डालेश्वरी देवी, देवंती देवी एवं मीना देवी आदि ने बताया कि राशन कार्ड अब तक नहीं बन पाया है. जबकि इसके लिए कई बार प्रयास भी किया गया है.
इधर सामाजिक कार्यकर्ता जितेंद्र साव कहते हैं कि बेको इलाके के तीन लोग स्वतंत्रता सेनानी रहे हैं. यह गर्व की बात है, लेकिन दुख इस बात की है कि स्वतंत्रता सेनानी स्वर्गीय तुला महतो के वंशजों को राशन कार्ड का लाभ तक नहीं मिला है. उन्होंने कहा है कि स्वतंत्रता सेनानी के वंशज के नाते इन परिवार को खास लाभ मिलनी चाहिए.