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गिरिडीहः एटीएम से संदिग्ध निकासी करते एक साइबर अपराधी धराया, दो फरार - गिरिडीह में एटीएम से संदिग्ध निकासी करते एक साइबर अपराधी धराया

गिरिडीह के पीरटांड़ के पंजाब नेशनल बैंक शाखा चिरकी में लगे एटीएम से संदिग्ध निकासी करते एक साइबर अपराधी को पकड़ा गया है. उसके दो साथी फरार हो गए. तीनों साइबर अपराधी देवघर जिले के मरगोमुण्डा के चेतनारी गांव के रहने वाले हैं.

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Published : Jun 17, 2020, 12:03 AM IST

गिरिडीह:जिले के पीरटांड़ स्थित चिरकी बाजार में लगे पंजाब नेशनल बैंक की एटीएम में संदिग्ध स्थिति में एटीएम से रुपए निकालने वाले को पकड़ा गया. सीसीटीवी फुटेज में देखकर शाखा प्रबंधक की सूझबूझ से साइबर अपराधी दबोचा गया. दबोचा गया साइबर अपराधी मुश्ताक अंसारी देवघर जिले के मरगोमुंडा थाना क्षेत्र के चेतनारी गांव स्थित शाह टोला का रहने वाला है.

जानकारी के अनुसार बैंक के शाखा प्रबंधक मंथनाथ मोलन ने ऑफिस में लगे सीसीटीसी कैमरा में जब अज्ञात व्यक्ति को संदिग्ध तरीके से एटीएम से रूपए की निकासी करते देखा, तो उससे पूछताछ की गयी लेकिन वह संतोषजनक जवाब नहीं दे पाया. इसके बाद उसे पकड़कर साइबर थाना पुलिस के हवाले कर दिया गया. इस संबंध में साइबर थाना में शाखा प्रबंधक की लिखित शिकायत पर प्राथमिकी दर्ज कर ली गयी हैं.

99 हजार रूपये की निकासी का आरोप

प्राथमिकी में एटीएम में संदिग्ध निकासी करते पकड़ाए आरोपी मुश्ताक अंसारी पर गलत ढंग से 12 बार में कुल 99 हजार रूपए की निकासी करने का आरोप है. मंगलवार को प्राथमिकी दर्ज होने के बाद गिरफ्तार अपराधी मो. मुश्ताक को देर शाम को केंद्रीय कारा गिरिडीह भेज दिया गया.

साइबर थाना प्रभारी सहदेव प्रसाद ने बताया कि इस संबंध में मारगोमुंडा थाना क्षेत्र के चेतनारी के जफरूद्दीन अंसारी उर्फ बाबू भाई और मोहम्मद इमरान अंसारी की गिरफ्तारी का प्रयास किया जा रहा है. इन दोनों को इस कांड का अभियुक्त बनाया गया है.

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पूछताछ में किए कई खुलासे

साइबर थाना प्रभारी सहदेव प्रसाद ने बताया कि पकड़े गए साइबर अपराधी मो मुश्ताक अंसारी ने पूछताछ में कई खुलासे किए हैं. पूछताछ में मुश्ताक ने बताया कि वह साइबर ठगी के तहत पहले बैंक ग्राहकों के खातों से पैसा उड़ाता था. बाद में 2020 से वह साइबर ठगी और धोखाधड़ी ई-वॉलेट से कर रहा था.

इसके अंतर्गत एयरटेल मोबाइल नंबर से एयरटेल पेमेंट बैंक का 10 डिजिट का एकाउंट बनाता है. यह एकाउंट नंबर वही रहता है, जो मोबाइल नंबर होता है. बैंक के एटीएम बूथ में लगी मशीन में एकाउंट नंबर को डालने पर चार डिजिट का सेंडर कोड जेनरेट होता है. उसके बाद आगे चार डिजिट का ओटीपी जेनरेट होकर, दूसरे साइबर अपराधी के मोबाइल फोन में जाता है, जो फोन कर या व्याह्टसेप के माध्यम से तत्काल उसे बता देता है.

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