गिरिडीहः पहाड़ों और जंगलों से घिरे गिरिडीह में नक्सलवाद दशकों से चुनौती पेश करता रहा है. पारसनाथ और बिहार से सटे इलाके में नक्सलियों ने हमेशा ही घटनाओं को अंजाम दिया. हालांकि पिछले चार पांच वर्षों के दौरान पुलिस और सीआरपीएफ की संयुक्त कार्रवाई की कारण नक्सलियों को बैकफुट पर जाना पड़ा. एक के बाद एक नक्सली पकड़े गए तो कइयों ने आत्मसमर्पण भी किया. बीते वर्ष गिरिडीह की पारसनाथ इलाके से निकलकर जा रहे भाकपा माओवादी की शीर्ष नेता प्रशांत बोस व उनकी पत्नी शीला को पकड़ा गया. इस गिरफ्तारी ने नक्सली संगठन को झटका दिया. इससे बौखलाए नक्सलियों ने प्रतिशोध में घटनाओं को अंजाम दिया.
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इस बार जनवरी नक्सलियों ने प्रतिरोध दिवस मनाया और उसके बाद एक दिन का बंद भी किया. इस दौरान गिरिडीह में नक्सलियों ने उत्पात मचाया. जहां मोबाइल टावर और पुल को उड़ाया गया तो रेलवे ट्रैक पर भी विस्फोट किया गया. एक के बाद एक घटना को अंजाम दिए जाने के बाद एसपी अमित रेणू के नेतृत्व में अभियान को तेज किया गया और इन घटनाओं में शामिल चार नक्सलियों, नक्सली तक विस्फोटक पहुंचाने वाले तीन लोगों समेत आठ को गिरफ्तार भी किया गया. हालांकि इन घटनाओं को अंजाम देने में जिस 15 लाख के इनामी नक्सली कृष्णा मांझी उर्फ अविनाश उर्फ सौरव (भाकपा माओवादी रिजनल कमिटी मेंबर) का नाम आया उसे पकड़ा नहीं जा सका.
ईटीवी से बोले एसपी- सरेंडर करें या गोली खाने को रहे तैयारः नक्सलियों पर दबिश बनाने के लिए लगातार अभियान चल रहा है. ईटीवी भारत के संवाददाता अमरनाथ सिन्हा ने पूरे मामले पर गिरिडीह एसपी अमित रेणू से बात की. एसपी ने बताया कि नक्सलियों के खिलाफ अभियान लगातार चल रहा है. दबिश का नतीजा रहा की वर्ष 2021 में नक्सली किसी घटना को अंजाम देने में विफल रहे. हाल के दिनों में बौखलाहट में घटना को अंजाम दिया तो उनकी गिरफ्तारी भी हो रही है. उन्होंने कहा कि नक्सली कोई भी हो वो मुख्यधारा में वापस लौट आएं इसी में उनकी भलाई है. उन्होंने यह भी कहा कि जो नक्सली सरेंडर नहीं करेंगे वो पुलिस की गोली खाने को तैयार रहें. उन्होंने यह भी बताया कि सीआरपीएफ की साथ अभियान का ही नतीजा है की एक के बाद एक नक्सली पकड़े जा रहे हैं. कृष्णा की चुनौती को देखते हुए एसपी अमित और एएसपी गुलशन तिर्की की नेतृत्व में नक्सलियों के खिलाफ अभियान चल रहा है. जिस इलाके से कृष्णा को लेकर सूचना मिल रही है पुलिस-सीआरपीएफ की टीम वहां पहुंच भी रही है. कहा जा रहा है की पारसनाथ की तराईवाले इलाके की साथ साथ डुमरी की उत्तराखंड इलाके में भी कृष्णा की खोज की गयी है.
ईटीवी भारत से गिरिडीह एसपी अमित रेणू की खास बातचीत
कटी मांझी की निशानदेही पर बंकर भी मिलाः पिछले दिनों जिस कटी मांझी को पकड़ा गया था उसकी निशानदेही पर बंकर भी मिला था. बंकर से वर्दी, कारतूस, पुराना बंदूक, बेल्ट, गोली रखने का पाउच समेत कई सामान बरामदा किया गया था. पिछले दिनों गिरिडीह पुलिस ने कृष्णा मांझी की दस्ते में शामिल कटी मुर्मू और उससे पहले नक्सलियों तक विस्फोटक पहुंचाने में शामिल नक्सली की पुत्र रुपलाल को पकड़ा था. इन दोनों ने कृष्णा को लेकर काफी महत्वपूर्ण जानकारी दी थी. यह भी बताया था कि कृष्णा का दस्ता पारसनाथ इलाके में अक्सरा मौजूद रहता है. इन सूचनाओं के बाद कृष्णा से जुड़ी और भी जानकारी इकठ्ठा की जा रही है.
नक्सलियों के बंकर से वर्दी बरामद इसे भी पढ़ें- Naxalites Arrested In Giridih: भाकपा माओवादी के तीन सदस्य गिरफ्तार, बराकर नदी का पुल उड़ाने में थे शामिल
नक्सलियों का कारतूस बरामद
इस तरह मजबूत होता गया कृष्णाः बताया जाता है कि एक करोड़ के इनामी नक्सली अनल उर्फ पतिराम और 25 लाख के इनामी नक्सली अजय महतो को गिरिडीह के बाहर जाने के बाद यहां संगठन कमजोर होता गया. इस बीच नुनुचंद ने भी पुलिस के समक्ष आत्मसमर्पण कर दिया. ऐसे में संगठन को मजबूती देने का पूरा जिम्मा कृष्णा पर आ टिका. कृष्णा ने अपने दस्ते के साथ मिलकर एक के बाद एक घटनाओं को अंजाम देना शुरू किया. संगठन के लिए लेवी की व्यवस्था भी इसका ही दस्ता करता. डेढ़ वर्ष पूर्व पारसनाथ की तराईवाले इलाके में सीआरपीएफ कैंप पर हमला भी कृष्णा के नेतृत्व में ही अंजाम दिया गया था. हालांकि इस दौरान एसपी अमित रेणू के नेतृत्व में पुलिस ने कार्रवाई की थी और 10 लाख के इनामी प्रशांत मांझी, प्रशांत की पत्नी जया समेत आधा दर्जन नक्सलियों को पकड़ा गया था.