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उफ्फ ये आवारा कुत्ते! जरा बचके, आप भी हो सकते हैं शिकार

गिरिडीह में स्ट्रीट डॉग, बंदर और सुअर का आंतक है. रोजाना इसके शिकार लोगों की संख्या में बढ़ोतरी हो रही है. सदर अस्पताल में हर रोज रैबीज से बचाव के लिए सुई लेने लोग पहुंच रहे हैं. हालांकि अस्पताल में रैबीज का इंजेक्शन पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध है.

teror of dog
कुत्तों का आतंक

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Published : Jul 25, 2021, 7:20 PM IST

Updated : Jul 25, 2021, 9:55 PM IST

गिरिडीह: जिले में आवारा कुत्तों, बंदरों और सुअरों का आतंक बढ़ा हुआ है. हर रोज कई लोग इन जानवरों का शिकार होकर अस्पताल पहुंच रहे हैं. जानवरों के काटने के बाद शहर में एंटी रैबीज का सुई लेने वालों की संख्या तेजी से बढ़ रही है.

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जगह-जगह दिखता है कुत्तों का झुंड
वैसे तो जिले में आवारा कुत्तों का आतंक सभी जगहों पर है. पर ग्रामीण इलाके में तो ये दहशत का दूसरा नाम बन गए हैं. कुत्तों का झुंड न केवल राह चलते आम लोगों को काट रहे हैं बल्कि पालतू मवेशियों बकरी और बकरों का शिकार भी कर रहे हैं. इतना ही नहीं बाइक पर चलने वाले लोग भी इसके हमले से नहीं बच पा रहे हैं.

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कुत्तों पर अंकुश लगाना जरूरी

स्थानीय अधिवक्ता आबिद के मुताबिक शहर के लावारिस कुत्तों पर अंकुश लगाना बेहद जरूरी हो गया है. उन्होंने नगर निगम से अवारा कुत्तों से लोगों को बचाने के लिए उपाय करने की मांग की है. उनके मुताबिक झुंड के कुत्तें पैदल चलने वाले लोगों के अलावा बाइक सवार पर भी हमला बोल देते हैं. जो लोग आवारा कुत्तों का शिकार होते हैं उन्हें अस्पताल का चक्कर लगाना पड़ता है. ऐसे में नगर निगम को अपनी जवाबदेही निभानी चाहिए और आवारा कुत्तों पर लगाम लगानी चाहिए.

पांच डोज लेना जरूरी
इसी मामले पर डॉक्टर विद्याभूषण का कहना है कि आवारा कुत्तों से बचाव के लिए पहले नगर निगम को पूर्ण व्यवस्था करनी चाहिए. अगर कोई कुत्ता काट लेता है तो लोगों को पांच इंजेक्शन का डोज लेना जरूरी है. उन्होंने कहा कि रैबीज एक जानलेवा बीमारी है इसमें लोग पागल तक हो जाते हैं. उन्होंने कहा अवारा कुत्तों से बचाव ही इसका सबसे पहला इलाज है.

मरीजों की संख्या में वृद्धि नहीं

कुत्तों के आतंक के बीच सदर अस्पताल से जब बात की गई तो टीका देने वाले कर्मियों ने रैबीज के मरीजों की संख्या स्थिर रहने की बात कही है. उनके मुताबिक न तो मरीजों की संख्या बढ़ी है और न ही घटी है. उन्होंने ये भी बताया कि मरीज हर रोज पहुंच रहे हैं. टीका देने वाले कर्मी के मुताबिक बंदरों और सुअरों के शिकार लोगों की संख्या ज्यादा है. उन्होंने बताया कि साल 2020 में 2 हजार लोगों को रैबिज का सुई दी गई थी, जबकि 2021 में 15 जुलाई तक 1010 लोग रैबीज की सुई ले चुके हैं.

रैबीज का टीका उपलब्ध

पूरे मामले पर अस्पताल उपाधीक्षक ने बताया कि अस्पताल में रैबीज की सुई पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध है और मरीजों की किसी प्रकार की असुविधा नहीं हो इसका पूरा ख्याल रखा जा रहा है.

Last Updated : Jul 25, 2021, 9:55 PM IST

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