गिरिडीह: पिछले दो दशक से लगातार घाटे में चल रही गिरिडीह कोलियरी की दशा में सुधार होता नहीं दिख रहा है. वहीं कबरीबाद माइंस के बंद रहने से घाटा को पाटने के प्रयास को भी लगातार झटका लग रहा है. इस माइंस के बंद रहने से प्रत्यक्ष तौर पर 10 हजार से अधिक परिवार प्रभावित हो रहा है. वहीं, अप्रत्यक्ष तौर पर भी काफी संख्या में लोग प्रभावित हैं.
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फांकाकशी में हैं मजदूर
कबरीबाद माइंस बन्द रहने का सबसे सीधा असर कोयला लोडिंग करनेवाले असंगठित मजदूरों, ट्रक के मालिक और ड्राइवर-खलासी पर पड़ा है. माइंस बन्द है तो कोयला का उत्पादन भी नहीं हो रहा है. उत्पादन नहीं तो रोड डिस्पैच भी नहीं है. ऐसे में मजदूरों, ट्रक मालिकों और इससे जुड़े हुए लोगों को समुचित रोजगार नहीं मिल रहा है. कई मजदूर तो रोजगार की तलाश में महानगर की ओर पलायन कर चुके हैं जबकि कई लोग पलायन करने की तैयारी में हैं. ट्रक मालिक संतोष यादव का कहना है कि दो वर्षों से 1200 वाहन (ट्रक) के मालिक बेहाल हैं. वाहन का ईएमआई भी कर्ज लेकर भरना पड़ा रहा है.
यहां बता दें कि गिरिडीह कोलियरी में दो माइंस संचालित है. एक माइंस में कोयला का उत्पादन हो रहा है लेकिन कबरीबाद माइंस में उत्पादन बाधित है. इसके पीछे टोर (टर्म्स ऑफ रेफरेंस) और सीटीओ (कंसेंट टू ऑपरेट) कारण रहा है. टोर और सीटीओ के अभाव में माइंस में उत्पादन का कार्य ढाई वर्ष से बंद है.