गिरिडीहः जिले के सदर प्रखंड द्वारा मनरेगा में मार्च लूट की गई. आदेश के विपरीत जाकर सदर प्रखंड के कई पंचायत ने करोड़ों की निकासी कर ली. मजदूरों के भुगतान को दरकिनार कर मेटेरियल सप्लायर को भुगतान किया. ईटीवी भारत ने सबसे पहले इस घोटाले की खबर को सामने लाया. मामले को जिले के डीसी नमन प्रियेश लकड़ा ने न सिर्फ गंभीरता से लिया बल्कि त्वरित रूप से अलग-अलग जांच टीम का गठन करते हुए जांच करवायी.
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जांच के बाद डीसी ने कार्रवाई भी की इसके साथ ही एक मैसेज भी दिया कि गड़बड़ी करने पर लोग बख्शे नहीं जाएंगे. इस बीच इसी मनरेगा घोटाला से जुड़ा एक ऑडियो चर्चा का केंद्र बन गया है. ऑडियो जिला ग्रामीण विकास अभिकरण के कंप्यूटर ऑपरेटर सौरव कुमार रवानी से जुड़ा है. इस तरह का एक नहीं दो -दो ऑडियो वायरल हो चुका है.
क्या है ऑडियो मेंःऑडियो में सौरभ इसी मनरेगा घोटाले के मामले को दबाने के लिए पैसे की डील कर रहा है. ऑडियो में पांडेयडीह-मंगरोडीह पंचायत में मनरेगा योजना के नाम पर हुई निकासी के मामले की डील की जा रही है. बताया जाता है कि एक तरफ से एजेंट बोल रहा है तो दूसरी तरफ की आवाज सौरव की है. कहा जा रहा है कि पंचायत से नगर निगम में जो क्षेत्र चला गया, वहां पर मनरेगा की योजना कैसे संचालित हुई, कैसे डोंगल बना और कैसे राशि की निकासी हुई. इन बातों की चर्चा के बाद दो से ढाई लाख रुपया का डिमांड भी किया जाता है. डीआरडीए निदेशक से लेकर मनरेगा लोकपाल का जिक्र कर पैसा मांगा जाता है. इतना ही नहीं सदर प्रखंड के मनरेगा घोटाला के बाद जिन बीपीओ का ट्रांसफर हो गया है उसके ट्रांसफर का भी जिक्र है.
विभाग ने माना, आदतन ऐसी हरकत करता है सौरवःइधर उगाही का यह मामला जिला ग्रामीण विकास अभिकरण भी पहुंच चुका है. विभाग के निदेशक से लेकर एक-एक कर्मी को इसकी जानकारी है. इसी वजह से उप विकास आयुक्त कार्यालय ( जिला ग्रामीण विकास अभिकरण ) ने सौरव से स्पष्टीकरण भी पूछा है. शोकॉज के इस पत्र में निदेशक ने जिन बातों का जिक्र किया वह बताता है कि इस तरह की हरकत सौरव पहले भी करता रहा है. दिनांक 02 अगस्त 2023, ज्ञापांक 1589 में इन बातों का जिक्र है. कहा गया है कि
1. आपके द्वारा निदेशक, लेखा प्रशासन व स्वनियोजना, गिरिडीह तथा लोकपाल, गिरिडीह के नाम पर भेंडरों / ग्राम रोजगार सेवक / पंचायत सचिव / मुखिया / प्रखण्ड विकास कार्यक्रम पदाधिकारी का भयादोहन कर कभी अधिक निकासी के नाम पर, कभी अधिक संख्या में विभिन्न पंचायतों में मनरेगा योजना के नाम पर, कभी फर्जी भुगतान के नाम पर, कभी सामग्री भुगतान के नाम पर इत्यादि ऑनलाइन देखकर अनाधिकृत राशि / पैसे की मांग उत्कोच रिश्वत या घूस के रूप में उनका नाम बेचकर / धमका कर / डराकर / थाने में प्राथमिकी दर्ज कराने के नाम पर समझाया जा रहा है, जो कि आपके द्वारा एक गैर-जिम्मेदराना हरकत, अनुशासहीनता, कार्यालय की छवि धूमिल करना, लापरवाही, अकर्ममण्यता, अपने कार्यक्षेत्र से बाहर जाकर कार्य करना तथा दयनीय कार्यशैली को दर्शाता है. यह आपके द्वारा किया गया एक गंभीर प्रकृति का कृत्य है.