गिरिडीह:बगोदर प्रखंड के अटका में मनाए जाने वाले दुर्गोत्सव का इतिहास बहुत पुराना है. यहां अंग्रेजी हुकूमत के समय से पूजनोत्सव मनता आ रहा है. 1890 में यहां पूजनोत्सव की शुरुआत हुई थी, तब से लगातार पूजनोत्सव मनता आ रहा है. इस बार पूजनोत्सव का 133वां साल है. शुरुआती समय में यहां बलि प्रथा का प्रचलन था, जो बाद में बंद हो गया और अब वैष्णवी पूजा होती है.
Navratri 2023: गिरिडीह के अटका में अंग्रेजी हुकूमत के समय से मन रहा दुर्गोत्सव, काफी रोचक है इतिहास
गिरिडीह के अटका में ब्रिटिश काल से ही दुर्गोत्सव मनाया जा रहा है. इसके पीछे की कहानी काफी रोचक है. इस स्थान पर पहले बलि दी जाती थी, लेकिन बाद में इसे बंद कर दिया गया. इसके पीछे भी एक कहानी है. Durga Utsav celebrated in Atka of Giridih
Published : Oct 20, 2023, 5:04 PM IST
बताया जाता है कि अटका और आसपास के इलाके में 1890 के दौर में महामारी का संक्रमण फैला हुआ था. इसके जद में आकर कई लोगों की असमय मौत हो गई थी और घर-घर में लोग महामारी से पीड़ित थे. ऐसे में बीमारी की रोकथाम के लिए मां की उपासना किए जाने का निर्णय लिया गया. तब रुपण महतो, बुलाकी नायक, गणपत मेहता, हेमंत महतो आदि के नेतृत्व में यहां दुर्गोत्सव की शुरुआत हुई. उसके बाद से बीमारी का संक्रमण समाप्त हो गया.
बलि प्रथा बंद करने के लिए खुद बलि देने को तैयार था भक्त:स्थानीय निवासी महादेव महतो बताते हैं कि अटका में पूजनोत्सव की शुरुआत के साथ यहां बकरे की बलि चढ़ाई जाती थी. यहां इतना बकरे की बलि दी जाती थी कि थोड़ी दूरी पर स्थित एक तालाब तक खून पहुंच जाता था और उस खून से तालाब का पानी लाल हो जाता था. भेखलाल साव नाम के एक भक्त को यह नागवार लगा और उसने बलि प्रथा का विरोध किया. लेकिन लोग मानने को तैयार नहीं थे. अंत में उसने ऐलान कर दिया कि यहां पहले मेरी बलि चढ़ाई जाएगी उसके बाद बकरे की बलि दी जाएगी. इस तरह से उसकी जिद के बाद यहां बलि प्रथा का प्रचलन बंद हो गया.
पूजनोत्सव को लेकर पूजा पंडाल बनकर तैयार:पूजनोत्सव को लेकर यहां भव्य पूजा पंडाल का निर्माण किया गया है. मूर्तिकारों के द्वारा प्रतिमाओं को भी अंतिम रूप दिया जा रहा है. पूजनोत्सव को सफल बनाने के लिए पूजा कमेटी के अध्यक्ष सहदेव मंडल, उपाध्यक्ष बरुण मंडल, सचिव सुरेश मंडल, सह सचिव विकास दास, कोषाध्यक्ष बिहारी लाल मेहता सहित मुखिया संतोष प्रसाद, पूर्व मुखिया जिबाधन मंडल, मनोहर लाल, दीपू मंडल, राजेश मंडल, लक्ष्मण प्रसाद, मनोज मंडल, रीतलाल मंडल, मदन मंडल, बिहारी महतो, जनकलाल मंडल, रंजीत मेहता, महेंद्र मंडल आदि जुटे हुए हैं.