गिरिडीह: केमिकल, बायोलॉजिकल, रेडियोलॉजिकल और न्यूक्लियर इमरजेंसी (सीबीआरएन इमरजेंसी) की स्थिति में प्रशासन किस तरह एनडीआरएफ की मदद लेता है और एनडीआरएफ की टीम कैसे रेस्क्यू करती है, इसका गिरिडीह में मॉक ड्रिल किया गया. जिले के डीसी नमन प्रियेश लकड़ा के निर्देश पर एनडीआरएफ टीम बिहटा द्वारा गिरिडीह स्टेडियम में प्रदर्शन किया गया. बताया गया कि आपात स्थिति आने पर टीम कैसे काम करती है.
अभ्यास की शुरुआत आपातकालीन अलार्म के साथ हुई. स्थिति को देखते हुए पीड़ितों को बचाने के लिए त्वरित कार्रवाई के लिए एनडीआरएफ की टीम को बुलाया गया. एनडीआरएफ टीम ने जानकारी इकट्ठा की और स्थिति का आकलन किया और एक ऑपरेशन बेस, मेडिकल पोस्ट और संचार पोस्ट भी तैयार किया. इसके बाद टीम ने खतरे की जांच की और ऑपरेशन शुरू किया. रेडियोलॉजिकल डिस्पर्सल डिवाइस स्रोत को एनडीआरएफ रिकवरी टीम द्वारा सील कर दिया गया था. बचाव दल ने सीबीआरएन सूट की मदद से प्रभावित पीड़ितों को बचाया. इस अभ्यास के दौरान रेडिएशन का परीक्षण किया गया और रेस्क्यू कर रहे लोगों का भी रेडिएशन का परीक्षण किया गया. इसके अलावा टीम कमांडर द्वारा सहायक कमांडर को पूरे अभ्यास की विस्तृत जानकारी दी गयी.
प्रतिकूल स्थिति में बचाव करना उद्देश्य:इस दौरान मौके पर मौजूद उप विकास आयुक्त दीपक दुबे ने कहा कि किसी भी रासायनिक एवं जैविक आपदा के दौरान घायल और चोटिल व्यक्तियों के अमूल्य जीवन की रक्षा करना, सभी रिस्पांस एजेंसियों की प्रतिक्रिया की जांच करना और सभी हितधारकों के बीच आपसी समन्वय स्थापित करना आवश्यक है. मॉक ड्रील का उद्देश्य सभी हितधारकों के बीच समन्वय बनाना, उपचारात्मक उपाय करना, संसाधनों की दक्षता की जांच करना और प्रतिकूल स्थिति में बचाव कार्यों का परीक्षण करना था, ताकि किसी भी सीबीआरएन आपदा के दौरान कार्रवाई करके बहुमूल्य मानव जीवन को बचाया जा सके. एनडीआरएफ टीम पटना के इंस्पेक्टर राम कुमार सिंह ने कहा कि रासायनिक, जैविक और रेडियोधर्मी आपदाएं होती हैं, जिनकी जानकारी ही बचाव का मूल मंत्र है.