गिरिडीहः गिरिडीह में मनरेगा मैटेरियल की रॉयल्टी जमा करने में हुई गड़बड़ी यानी मनरेगा में गबन का मामला तूल पकड़ने लगा है. ईटीवी भारत की टीम की ओर से इस गड़बड़ी को उजागर करने के बाद जिले में चर्चाओं का बाजार गर्म है. गबन के इस प्रयास के मामले के सामने आने के बाद गिरिडीह के सदर विधायक ने इसे गम्भीरता से लिया है. विधायक ने कहा कि इस वित्तीय अनियमितता में वेंडर के अलावा अधिकारी भी दोषी हैं. इसकी उच्चस्तरीय जांच कराएंगे. इससे पहले मनरेगा में बिना काम हुए भुगतान किए जाने का मामला सामने आया था.
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गिरिडीह में मनरेगा मैटेरियल के भुगतान में गड़बड़ी का मामला सामने आए अधिक दिन नहीं हुए कि अब मनरेगा मैटेरियल की रॉयल्टी जमा करने में गड़बड़ी का मामला जिले में सुर्खियों में है. खासकर भुगतान के क्रम कई वेंडर की ओर से काटी गई रकम को संबंधित विभाग के खाते में जमा नहीं करने का मामले ने तूल पकड़ लिया है. ईटीवी भारत की ओर से इस गड़बड़ी को उजागर किए जाने के बाद जिले के अधिकारियों में खलबली मची है.
अधिकारियों की मिलीभगत
आला अधिकारियों की बैठकों का दौर चल पड़ा है. गिरिडीह सदर विधायक सुदिव्य कुमार ने भी इस मामले को काफी गंभीरता से लिया है. सुदिव्य कुमार ने ईटीवी भारत से विशेष बातचीत में सीधे तौर पर इस वित्तीय अनियमितता के लिए वेंडर के साथ उन अधिकारियों को भी कटघरे में खड़ा किया, जिन्हें इस गड़बड़ी की जानकारी थी.
रॉयल्टी का गबन हुआः विधायक
सत्ताधारी दल के विधायक सुदिव्य कुमार ने कहा कि तत्कालीन यूपीए सरकार की ओर से लाई गई महत्वाकांक्षी परियोजनाओं में मनरेगा भी थी, जिससे गांव-ग्राम में लोगों को रोजगार से जोड़ने का संकल्प लिया गया था. अब इसमें खेल पर खेल सामने आ रहे हैं. गिरिडीह सदर विधायक सुदिव्य कुमार ने कहा कि मनरेगा के मैटेरियल भुगतान के दौरान काटी गई रॉयल्टी की राशि को सरकार के खाते में जमा नहीं की गई है तो यह वित्तीय अनियमितता और गबन का मामला बनता है.
गिरिडीह सदर विधायक सुदिव्य कुमार ने कहा कि इस प्रकरण में कई लोगों की मिलीभगत हो सकती है. सरकार के नुमाइंदे हों, सरकार के पदाधिकारी हों, उनकी भी संलिप्तता रही होगी, तभी इस तरह की गड़बड़ी संभव हो सकी. विधायक ने कहा कि पूरे मामले का अध्ययन करने के बाद ग्रामीण विकास मंत्री से वे व्यक्तिगत तौर पर मिलकर एक उच्चस्तरीय जांच की मांग करेंगे ताकि सरकार की राशि, गरीब जनता की राशि का गबन करनेवालों को चिन्हित करने के साथ साथ दंडित किया जाए.
नोटिस देकर कार्रवाई नहीं करना बचाने जैसा
विधायक ने कहा कि किसी भी मामले में नोटिस देकर खानापूर्ति करने की प्रवृत्ति अधिकारियों ने अपना रखी है जो सही नहीं है. अधिकारी सिर्फ नोटिस करके अपनी जवाबदेही से पल्ला झाड़ लेना चाहते हैं जो एक खतरनाक प्रवृत्ति है. यदि नोटिस का जवाब नियत समय के अंतर्गत नहीं आया है तो कार्रवाई करने की जवाबदेही संबंधित पदाधिकारी की ही है. अगर अधिकारी नोटिस पर नोटिस देकर कार्रवाई नहीं कर रहे हैं और रकम वेंडर के खाते में जा रही है तो कहीं न कहीं यह दर्शाता है कि इसमें संलिप्तता पदाधिकारियों की भी है.