बगोदर, गिरिडीह:शादी-विवाह का नाम सुनते ही लोगों के जेहन में जो तस्वीर बनती है वह है खुशी और उत्साह की. खुशी, उत्साह और उमंग से शादी की सभी रस्में निभाई जाती हैं, लेकिन ठीक इसके विपरीत बगोदर प्रखंड में शुक्रवार को एक ऐसी शादी हुई जिसमें खुशी, उमंग और उत्साह नहीं था. ना दूल्हा के चेहरे पर रौनक थी और ना ही दुल्हन के चेहरे पर खुशी. यहां तक कि वैवाहिक कार्यक्रम में पहुंचे सभी के चेहरे मुरझाए थे. लोगों को बस शादी की रस्में जल्द पूरा होने की जल्दबाजी थी.
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बीमारी से दुल्हन की मां की हुई मौतः दरअसल, शादी के दिन की लड़की की बीमार मां का निधन हो गया. इस कारण शादी में कोई उत्साह और लोगों के चेहरे पर खुशी नहीं दिखी. यूं कहें कि बेटी की डोली निकलते ही मां की अर्थी निकल गई.
हरिहरधाम मंदिर में हुई शादीःमां के शव को घर पर रखकर बेटी का विवाह आनन-फानन में हरिहरधाम मंदिर में कराया गया. बेटी की डोली निकलने के बाद मां की अर्थी निकाली गई और अंतिम संस्कार किया गया. यह पूरा मामला बगोदर प्रखंड के बनपुरा गांव की है.
मां की मौत होने के बाद शव को घर में रख कर करा दी गई बेटी की शादीःदरअसल, बनपुरा निवासी सावित्री देवी लंबे समय से बीमार चल रही थीं. गुरुवार को उनका निधन हो गया. इधर, उनकी छोटी बेटी काजल कुमारी का विवाह 10 मई को होना तय हुआ था. मां की मौत के बाद बेटी का विवाह होने की गुंजाइश नहीं थी. इसे देखते हुए गांव के लोगों ने मां के शव को घर पर रखकर बेटी की शादी शुक्रवार को ही कराने का निर्णय लिया.
शादी के बाद बेटी की विदाई होते ही उठी मां की अर्थीः काजल की शादी मंझलाडीह निवासी मोहन दास के साथ हुई. शादी के बाद काजल की विदाई हुई और वह ससुराल चली गई. इसके बाद मां की अर्थी निकाली गई और अंतिम संस्कार किया गया.