गिरिडीह : जिले में गरीबों से लूट कोई नयी बात नहीं है. सरकारी गोदाम से अपने गंतव्य तक जाने वाले अनाज से लदे वाहनों के गायब होने के मामले भी समय-समय पर सामने आते रहे हैं. इतना ही नहीं बीच-बीच में खाद्यान्न के बैकलॉक के मुद्दे पर कार्डधारियों को अनाज नहीं दिया गया है. जब इसका विरोध किया गया तो डीलर पर गाज गिरी, जांच की बात हुई और मामला ठंडे बस्ते में डाल दिया गया.
जांच दोबारा शुरू:अब इस कालाबाजारी की जांच दोबारा शुरू हो गई है. डीसी नमन प्रियेश लाकड़ा ने पिछले दिनों एक कमेटी बनाकर गोदामों का भौतिक सत्यापन कराया था. सत्यापन के दौरान 35354.83 क्विंटल गेहूं और 51635.85 क्विंटल चावल का हिसाब नहीं मिला. अगर यह कहा जाए कि अनाज किसने गायब किया और अनाज कहां है, इसका कोई हिसाब-किताब नहीं है. केंद्र से राज्य सरकार को मिलने वाला यह अनाज कहां है, इस पर सभी चुप हैं. मिली जानकारी के अनुसार कोरोना काल में गरीबों को दिये गये अनाज को कालाबाजारियों ने हड़प लिया. हालांकि, गायब अनाज को लेकर डीसी का रुख सख्त है.
दूसरी ओर, करोड़ों रुपये के अनाज गायब होने के मुद्दे पर झारखंड मुक्ति मोर्चा भी गरम है. जेएमएम के जिला अध्यक्ष संजय सिंह ने इस पूरे मामले को गंभीर बताया है. उन्होंने कहा कि गरीबों को खाद्यान्न आपूर्ति में अनियमितता के मामले में सिर्फ जांच से कुछ नहीं होगा. जांच के साथ-साथ कार्रवाई भी जरूरी है. उन्होंने कहा कि राज्य सरकार को बदनाम करने वाले अधिकारियों और कर्मियों पर कड़ी कार्रवाई जरूरी है.
डीसी से कार्रवाई की मांग:जेएमएम के जिला अध्यक्ष ने बताया कि पहले भी उन्होंने इस कालाबाजारी की जांच की मांग की थी. एफसीआई गोदाम से अनाज की हेराफेरी, तत्कालीन डीएसओ सुदेश कुमार द्वारा राशन दुकानों के आवंटन और राशन वितरण में भारी अनियमितता, डोर स्टेप डिलीवरी के लिए एजेंसी के चयन के लिए सरकार द्वारा अधिकृत एजेंसी एनईएमएल द्वारा अनियमितता, पीडीएस के अनाज की हेराफेरी. कालाबाजारी को लेकर डीसी को ज्ञापन सौंप कार्रवाई की मांग की गयी थी.