ताजिकिस्तान में फंसे झारखंड के 44 मजदूरों की सोमवार को होगी वापसी, मजदूरों ने वीडियो भेजकर जताया आभार
ताजिकिस्तान में फंसे झारखंड के मजदूरों की वतन वापसी 26 दिसंबर को होगी. मजदूरों ने सोशल मीडिया के माध्यम से एक वीडियो शेयर की थी, जिसमें उन्होंने वतन वापसी की गुहार की लगाई थी (Jharkhand labourers stranded in Tajikistan). जिसके बाद जनप्रतिनिधियों ने पहल की और अब वे अपने घर लौट सकेंगे. इसके लिए फिर वीडियो भेजकर उन्होंने आभार व्यक्त किया है.
गिरिडीह: जन प्रतिनिधियों की पहल के बाद ताजिकिस्तान में फंसे झारखंड के प्रवासी मजदूरों की वापसी होनी तय हो गई है (Jharkhand labourers stranded in Tajikistan). सोमवार को सभी प्रवासी मजदूरी की वापसी हो रही है. वहां फंसे मजदूरों ने वीडियो भेजकर वतन वापसी की गुहार लगाई थी. अब उन्होंने फिर एक वीडियो शेयर किया है, जिसमें मजदूरों ने उनकी सकुशल वापसी के लिए पहल करने वाले जनप्रतिनिधियों के प्रति आभार प्रकट किया है.
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झारखंड के गिरिडीह, हजारीबाग एवं बोकारो जिले के 44 प्रवासी मजदूर ताजिकिस्तान में फंसे हुए हैं. सोशल मीडिया के माध्यम से उन्होंने अपने फंसे होने की बात बताई थी. इसके साथ ही वतन वापसी के लिए गुहार भी लगाई. इसके बाद क्षेत्र के एमपी और एमएलए के द्वारा मजदूरों की वतन वापसी के लिए पहल की गई. कोडरमा एमपी सह केंद्रीय शिक्षा राज्य मंत्री अन्नपूर्णा देवी ने जहां विदेश मंत्री से मुलाकात कर मजदूरों के वतन वापसी की मांग की. वहीं, बगोदर विधायक विनोद कुमार सिंह ने झारखंड विधानसभा में मजदूरों का मामला उठाते हुए उनकी सकुशल वापसी की मांग की.
ताजिकिस्तान में फंसे झारखंड के मजदूरों को तीन महीने से मजदूरी नहीं मिली है. इससे मजदूरों के समक्ष खाने-पीने का संकट उत्पन्न हो गया है. मजदूरों ने सोशल मीडिया में वीडियो शेयर कर बकाया मजदूरी का भुगतान करने के साथ वतन वापसी की गुहार लगाई थी. ताजिकिस्तान में गिरिडीह जिले के बगोदर, सरिया, डुमरी, हजारीबाग जिले के बिष्णुगढ़ और बोकारो जिला के विभिन्न गांवों के मजदूर फंसे हुए हैं. मजदूरों ने कहा है कि 6 महीने पहले सभी मजदूर ताजिकिस्तान गए हुए थे. वीडियो में मजदूरों ने कहा है कि बिष्णुगढ़ प्रखंड के खरना निवासी पंचम महतो के माध्यम से सभी ट्रांसमिशन लाइन में काम करने के लिए ताजिकिस्तान गए थे. जहां तीन महीने से मजदूरी नहीं मिली है. पैसे के आभाव में वे दाने-दाने को मोहताज हैं.
ताजिकिस्तान में फंसे मजदूर: गिरिडीह जिला के बगोदर प्रखंड के अडवारा के संतोष महतो, लुतयानो तेजो महतो, सरिया प्रखंड अंतर्गत चिचाकी के दशरथ महतो, नुनूचंद महतो, गणेश महतो, डुमरी प्रखंड अंतर्गत दुधपनियां के नंदू कुमार महतो, खेचगढ़ी के प्रदीप महतो, चेगडो सोहन महतो, गिरि महतो, डुमरी के बीरेंद्र कुमार, घुजूडीह के नकुल महतो, हजारीबाग जिला के बिष्णुगढ अंतर्गत खरना तिलेश्वर महतो, प्रदीप गंजू, रामेश्वर महतो, महाबीर महतो, रीतलाल महतो, गोवेर्धन महतो, मितलाल महतो, भलुआ के जगदीश महतो, बासुदेव महतो, प्रेमचंद महतो, ब्रह्मदेव महतो, गोविंदपुर बालेश्वर महतो, आशोक सिंह, जोबर के आयोध्या महतो, उमेश महतो, टेकलाल महतो, तालो महतो, बीरू सिंह, संतोष महतो, बंदखारो के मंगर महतो, नारायण महतो, कृष्णा कुमार मंडल, दिलीप महतो, विनय महतो, मनोज कुमार महतो, त्रिभुवन महतो, लालदेव महतो, बसंत मंडल तुलसी महतो, नेरकी के रोहित सिंह और बोकारो जिला के गोमियां प्रखंड अंतर्गत सिधाबारा मुकेश महतो, महुआटांड के टीको महतो और बोकारो थर्मल के कमलेश अगरिया शामिल हैं.