गिरिडीह: झरखंड राज्य कृषि उपज और पशुधन विपणन (संवर्धन और सुविधाजनक) विधेयक 2022 को लेकर पिछले कई माह से नाराज चल रहे खाद्य उत्पाद के विक्रेता हड़ताल पर चले गए हैं. गिरिडीह में यह आंदोलन जिला चेंबर ऑफ कॉमर्स के अध्यक्ष निर्मल झुनझुनवाला के नेतृत्व में शुरू हुआ है. आंदोलन के शुरुवात में जहां सभी दुकानों को व्यापारियों ने बंद कर दिया. वहीं मंत्री बादल पत्रलेख का पुतला दहन किया गया.
Food Traders Protest in Jharkhand: पशुधन विपणन विधेयक के खिलाफ सड़क पर व्यवसायी, कहा- लंगड़ी सरकार के मंत्री ने लाया काला कानून - Giridih News
राज्य सरकार के एक विधेयक से व्यपारी वर्ग नाराज है. विधेयक के खिलाफ जहां खाद्य उत्पाद के व्यापार से जुड़े व्यवसायियों ने अपने प्रतिष्ठान को अनिश्चितकालीन के लिए बंद कर दिया है. वहीं सड़क पर उतर कर प्रदर्शन भी कर रहे हैं.
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पुतला दहन से पहले शहर के सभी व्यापारी का जुटान तिरंगा चौक पर हुआ. यहीं पर उन्होंने हाथ में कृषि मंत्री बादल पत्रलेख का पुतला लिया और पैदल ही शहर भ्रमण को निकले. शहर के मुख्य मार्ग व गलियों से होकर सभी टावर चौक पहुंचे, जहां पर मंत्री बादल पत्रलेख का पुतला फूंका. इस दौरान मंत्री बादल के खिलाफ जमकर नारेबाजी की गई. मंत्री को होश में आने को कहा गया. साथ ही साथ इस विधेयक को वापस लेने की भी मांग रखी गई.
इंस्पेक्टर राज में होगा शोषण- अध्यक्ष: इस दौरान अध्यक्ष निर्मल झुनझुनवाला ने कहा कि यह सिर्फ कृषि कर की बात नहीं बल्कि घोटाला की पृष्ठभूमि तैयार की जा रही है. उन्होंने कहा कि हर जिले में इंस्पेक्टर की बहाली होगी जो कृषि कर की वसूली करेंगे. फल, अंडा, मछली बेचनेवालों का दोहन होगा. उन्होंने कहा कि व्यापारी अपनी जेब से टैक्स नहीं देते. इस टैक्स का बोझ उपभोक्ताओं पर पड़ेगा. इस टैक्स के कारण आम लोगों को जूझना पड़ेगा. उन्होंने सरकार से मांग की है कि इस तरह के निर्णय पर फिर से विचार करें.
लंगड़ी सरकार है झारखंड में: अध्यक्ष निर्मल झुनझुनवाला ने कहा कि झारखंड में लंगड़ी सरकार काम कर रही है. यही कारण है कि कृषि मंत्री के इस निर्णय का विरोध किसी भी सत्ताधारी नेता ने नहीं किया. यह विधेयक मंत्री बादल पत्रलेख के दोहरे चेहरे को भी उजागर कर रहा है. यह बंद पूरी तरफ सफल रहेगा. वहीं चेंबर ऑफ कॉमर्स के क्षेत्रीय उपाध्यक्ष प्रदीप अग्रवाल ने कहा कि कृषि मंत्री ने जनता को गुमराह करके इस विधेयक को पारित करवाया. यह काला कानून है. इस विधेयक के कारण फ़ूड प्रोसेसिंग का काम करनेवाले व्यापारी यहां पूंजी नहीं लगायेंगे.