गिरिडीहः मनरेगा और 15वीं वित्त की योजना में मटेरियल की आपूर्ति को लेकर समय समय पर सवाल उठता रहा है. यह सवाल उठता रहा है कि जो लोग इन योजनाओं में मटेरियल की सप्लाई करते हैं उनके पास प्रतिष्ठान है, स्टॉक है या सिर्फ कागज पर ही सामान की आपूर्ति कर भुगतान लिया जा रहा है.
मार्च महीने के अंतिम सप्ताह में जब गिरिडीह सदर प्रखंड द्वारा नियम विरुद्ध जाकर आपूर्ति मद में करोड़ों का भुगतान किया था. इस मामले को ईटीवी भारत ने सबसे पहले प्रकाशित किया, जिसके बाद डीसी ने जांच शुरू की गयी. अब कुछ इसी तरह का मामला बिरनी प्रखंड से सामने आ रहा है. यहां भी मनरेगा योजना और 15वीं वित्त की योजना में मटेरियल की आपूर्तिकर्ताओं के प्रतिष्ठान की जांच हुई तो चौंकाने वाले तथ्य सामने आए हैं.
दरअसल पिछले दिनों हुई बिरनी प्रखंड पंचायत समिति की बैठक में मटेरियल सप्लायर वेंडर के प्रतिष्ठान और स्टॉक की जांच करने का निर्णय लिया गया. इसी निर्णय के आलोक में प्रखंड विकास पदाधिकारी सुनील वर्मा और प्रखंड के उपप्रमुख शेखर शरण दास ने जांच शुरू की. एक एक कर कई सप्लायर के पास पहुंचे तो दोनों भौचक्क रह गए. इस दौरान उन्होंने देखा कि जो लोग मटेरियल की आपूर्ति करते हैं, उनमें से कइयों के पास स्टॉक तो है ही नहीं. इतना ही नहीं जांच के दौरान आपूर्तिकर्ता में से कई उन वाहनों को भी दिखाने में अक्षम रहे जिनसे वे सामान की आपूर्ति करते हैं.