बगोदर, गिरिडीह: जिले के बगोदर प्रखंड की अड़वारा पंचायत के बेलगांय फुटबॉल मैदान में झारखंडी भाषा खतियानी संघर्ष समिति के बैनर तले शुक्रवार को हूल दिवस पर श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया गया. जिसमें बतौर मुख्य अतिथि संघर्ष समिति के जयराम महतो उपस्थित हुए. कार्यक्रम की शुरुआत में हूल विद्रोह के क्रांतिकारियों को याद करते हुए उनके चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित की गई. मौके पर क्रांतिकारी सिदो-कान्हू, चांद-भैरव, फूलो-झानो को याद किया गया. इस मौके पर मांदर की थाप पर आदिवासी युवतियों ने नृत्य की प्रस्तुति दी.
Hool Divas In Giridih: गिरिडीह के बगोदर प्रखंड में हूल दिवस पर आयोजित सभा में बोले जयराम महतो, झारखंडियों के हक-हकूक के लिए होगा आंदोलन
गिरिडीह के बगोदर प्रखंड में झारखंडी भाषा खतियानी संघर्ष समिति के बैनर तले हूल दिवस मनाया गया. जिसमें समिति के जयराम महतो मौजूद थे. इस दौरान उन्होंने सभा को संबोधित करते हुए कहा कि झारखंडियों को एक बार फिर अपने अधिकार के लिए आंदोलन करने की जरूरत है.
झारखंडियों के अधिकार के लिए आंदोलन करने का आह्वानःकार्यक्रम के दौरान झारखंड की कला, संस्कृति और सभ्यता को बचाए रखने के साथ-साथ झारखंड में झारखंडियों के हक-हकूक और अधिकार के लिए एक बार फिर आंदोलन का बिगुल फूंकने पर जोर दिया गया. इसके अलावा शराब से तौबा करने, बेटा के साथ बेटियों की पढ़ाई पर ध्यान देने, वोट की कीमत को समझने पर जोर देने के साथ आर्थिक, सामाजिक और सांस्कृतिक उन्नति पर जोर दिया गया. इस मौके पर वक्ताओं ने कहा कि झारखंड अलग राज्य का निर्माण होने के 22 सालों बाद भी झारखंड की जनता को हक- हकूक और अधिकार से वंचित रहना पड़ रहा है. राजनीतिक दलों के नेताओं ने यहां की जनता के अधिकारों का चीरहरण करने का काम किया है. इसके पूर्व समिति के द्वारा इलाके के गणमान्य लोगों को अंगवस्त्र देकर सम्मानित भी किया गया. मौके पर हजारों की संख्या में लोग पहुंचे हुए थे.
पूर्वजों की कुर्बानी से बना झारखंड, पर स्थानीय लोग अधिकार से वंचित: इस मौके पर जयराम महतो ने कहा कि पूर्वजों के कुर्बानी से अलग राज्य झारखंड का निर्माण हुआ है. अलग राज्य निर्माण के पीछे कुर्बानी देने का मुख्य मकसद आने वाले पीढ़ी को झारखंड में हक और अधिकार दिलाना था, लेकिन अलग राज्य निर्माण के 22 सालों बाद भी आज झारखंड में बाहरियों का अधिकार और हक- हकूक है. उन्होंने कहा कि बात चाहे सता में बैठे विधायकों और मंत्रियों की करें या फिर नौकरशाहों की, अधिकांश जगहों में बाहरियों का कब्जा है. उन्होंने कहा कि झारखंड अलग राज्य का निर्माण बाहरियों के फलने-फूलने और विकास के लिए नहीं किया गया था, बल्कि झारखंड के लोगों के हक, अधिकार और विकास के लिए किया गया था.
60-40 नियोजन नीति का जताया विरोधःउन्होंने कहा कि झारखंड राज्य में झारखंडियों का हक और अधिकार हो इसके लिए एक बार फिर से आंदोलन करने की जरूरत है. हमारी स्थानीय नीति और नियोजन नीति झारखंड की जनता के हित को ध्यान में रखते हुए बनानी चाहिए. उन्होंने 60-40 नियोजन नीति का विरोध किया. मौके पर समिति के पूजा महतो, माटी चित्रकार मोतीलाल महतो आदि ने भी सभा को संबोधित किया. कार्यक्रम को सफल बनाने में अड़वारा पंचायत के मुखिया प्रतिनिधि धनेश्वर मरांडी, छोटन प्रसाद छात्र, हेमंत हिन्दुस्तानी, दिनेश साहू आदि का योगदान रहा.