गिरिडीह: बगोदर प्रखंड कार्यालय परिसर में सहियाओं का ढाई महीने से धरना जारी है. उनके द्वारा सहिया कोड और लंबित मानदेय की भुगतान किए जाने की मांग की जा रही. मगर इस ओर प्रशासन के द्वारा अब तक किसी तरह का कोई सार्थक पहल नहीं की गई. लिहाजा सहियाओं के समक्ष धरना देने की लाचारी बनी हुई है. धरना में सहियाओं के छोटे-छोटे बच्चे भी बैठे रहते हैं.
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सरिया की 36 सहियाओं दे रही धरना:दो सूत्री मांगों को लेकर सहियाएं ढ़ाई महीने से धरना पर बैठी हुई है. सहियाओं के द्वारा बगोदर प्रखंड कार्यालय परिसर में धरना दिया जा रहा है. बगोदर और सरिया प्रखंड के 36 सहियाओं के द्वारा धरना दिया जा रहा है. सहियाओं के साथ उनके छोटे- छोटे बच्चे भी धरना स्थल में रहते हैं. इनके द्वारा कोड और मानदेय का भुगतान किए जाने की मांग की जा रही है.
6 फरवरी से जारी है धरना:दो सूत्री मांगों को लेकर सहियाओं के द्वारा 6 फरवरी से धरना दिया जा रहा है. शुरुआत के 22 दिनों तक धरना पर बगोदर और सरिया प्रखंड के 76 सहियाएं धरना पर बैठी हुई थी. 22 दिनों के बाद 40 सहियाओं को कोड मिलने के बाद अब कोड से वंचित शेष 36 सहियाओं के द्वारा धरना दिया जा रहा है.
धरना में ही बीत गई होली और ईद:ढ़ाई महीने से धरना जारी है. इस दौरान होली, शिवरात्रि और ईद जैसे महत्वपूर्ण त्योहार सहियाओं का धरना में ही बीत गया. धरना पर बैठी सहियाओं ने धरनास्थल पर ही उपरोक्त त्योहारों को मनाया. मगर इनकी मांगों को पूरा करने की दिशा में प्रशासन ने अबतक कोई सार्थक पहल नहीं की गई है. लिहाजा सहियाओं के समक्ष धरना देने की लाचारी बनी हुई है. धरना पर बैठी सहियाओं का कहना है कि चाहे जितना भी दिन धरना पर बैठना पड़े बैठेंगे. धरना तभी समाप्त होगा, जब मांगें पूरी हो जाएगी.
5-6 साल पूर्व हुआ था चयन:सहियाओं का चयन 5-6 साल पूर्व हुआ था. चयन के बाद विभाग के द्वारा सहियाओं से स्वास्थ्य संबंधी कार्य भी लिया जाता रहा है. वैश्विक महामारी कोरोना काल में भी सहियाओं ने पूरी ईमानदारी के साथ अपने कार्यों का निर्वहन किया. बता दें कोड और लंबित मानदेय की भुगतान की मांग को लेकर सहियाओं के द्वारा पिछले साल भी धरना दिया गया था. उस समय अधिकारियों के आश्वासन के बाद सहियाओं का धरना समाप्त हुआ था. होली को देखते हुए अधिकारियों ने सहियाओं को यह कहकर धरना समाप्त कराया था कि होली के बाद मांगों को पूरा कर दिया जाएगा. गौरतलब है कि दिशा की बैठक में भी सहियाओं की मांगों को पूरा करने का निर्णय लिया गया था.
कोड नहीं मिलने की ये है वजह:सहियाओं की मांगों को पूरा करने के मामले में विभाग के द्वारा अबतक टाल मटोल किया जाता रहा है. यही वजह है कि उन्हें कोड नहीं मिल पाया है. सहियाओं का चयन को विभाग के द्वारा वैध करार नहीं दिया जा रहा है. विभाग के कहना है कि कोड से वंचित सहियाओं का जिस समय चयन हुआ था, उस समय उनकी उम्र 25 साल नहीं हुई थी. जबकि सहिया चयन के समय उम्र 25 साल होनी चाहिए था. हालांकि धरना पर बैठी सभी सहियाओं की उम्र अब 25 साल हो गई है. विभाग का कहना है कि पुनः आम सभा में सहियाओं का चयन किया जाएगा. सहिया चयन में पूर्व में चयनित सहियाओं को प्राथमिकता दी जाएगी. इधर सहियाएं पुनः आम सभा के लिए तैयार नहीं है. सहियाओं का कहना है कि विभाग यह गारंटी करें कि आम सभा में पूर्व में चयनित सहियाओं का हीं चयन किया जाएगा. सहियाओं का यह भी कहना है कि क्या गारंटी का आम सभा में पुनः हम लोगों का हीं चयन होगा. अगर चयन नहीं होता है तब 5- 6 सालों से जो कार्य है, उसका क्या होगा?