गिरिडीहः पारसनाथ ( मरांग बुरु ) को लेकर मधुबन में आदिवासियों का महाजुटान हुआ(tribal gathering In Madhuban ) है. यहां पर काफी संख्या में मूलवासियों का भी जुटान हुआ. कार्यक्रम में पूर्व मंत्री गीताश्री उरांव, झामुमो विधायक लोबिन हेम्ब्रम, सालखन मुर्मू, जयराम महतो पहुंचे और अपनी बातों को रखा. मधुबन मेला मैदान में आयोजित सभा में बोरियो के जेएमएम विधायक लोबिन हेम्ब्रम ने अपनी ही सरकार पर हमला बोला. कहा कि चुनावी घोषणा पत्र में हेमंत सोरेन ने पांच लाख लोगों को नौकरी देने की बात कही थी लेकिन एक भी वादा पूरा नहीं किया गया. उन्होंने कहा कि मरांग बुरु के मामले को लेकर आगामी विधानसभा सत्र नहीं चलने दिया जाएगा. यह भी कहा कि 25 जनवरी तक मरांग बुरु को लेकर न्याय नहीं हुआ तो लड़ाई आरपार की होगी. उन्होंने 24 फरवरी को इस मुद्दे को लेकर झारखंड बंद करने की घोषणा की. कहा कि चरणबद्ध आंदोलन के बाद मोरहाबादी में फिल्म दिखाई जाएगी. उन्होंने जैन मुनियों पर भी जुबानी वार किया.
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पारसनाथ विवाद: मधुबन में आदिवासी- मूलवासी का महाजुटान, सरकार पर वार, 24 फरवरी को बंद की घोषणा
गिरिडीह के मधुबन में आदिवासी मूलवासियों ने महाजुटान किया(tribal gathering In Madhuban ). यहां पर आदिवासियों नेताओं ने राज्य सरकार के साथ साथ केंद्र पर जमकर हमला बोला. पारसनाथ को लेकर निकाले नोटिफिकेशन में मरांग बुरु का जिक्र नहीं नहीं होने पर नाराजगी जाहिर की गई. इस कार्यक्रम में झामुमो के विधायक लोबिन हेम्ब्रम ने अपनी ही सरकार पर खासकर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन पर हमला बोला.
टिकट काट सकते हैं, माटी से नहींःबोरियो विधायक लोबिन हेंब्रम ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन पर खूब जुबानी वार किया. कहा कि बाहरी लोग पार्टी चला रहे हैं. पिंटू, पंकज मिश्रा, सुनील श्रीवास्तव, विनोद पांडेय, सुप्रियो भट्टाचार्य जैसे लोगों ने घेरा बना लिया है. कहा कि पंकज मिश्रा जेल में है, इसके बाद भी उसे विधायक प्रतिनिधि से नहीं हटाया गया. दिशोम गुरु शिबू सोरेन हमेशा ही शराब के विरोधी रहे लेकिन उनका पुत्र हेमंत ही शराब बिकवा रहा है. कहा कि जनता के लिए उनका टिकट कटता है तो कटे. पार्टी उनका टिकट काट सकती है माटी से नहीं. उन्होंने कहा कि सीएनटी जमीन पर पूजा सिंघल पल्स हॉस्पिटल बना देती है और जमीन के रखवाले कमिश्नर, डीसी, एसडीओ, सीओ को नजर नहीं आता. इन सभी से हिसाब लिया जाएगा.
अपनी विरासत को बचाना हैःपूर्व शिक्षा मंत्री गीताश्री उरांव ने कहा कि आदिवासी प्रकृति के पूजक हैं. जहां से हमारी आस्था है वो मरांगबुरु हमारा है. आदिवासी स्वाभिमानी हैं. जल जंगल जमीन आदिवासी के स्वाभिमान का हिस्सा है. यहां सीएनटी, एसपीटी एक्ट का उल्लंघन हो रहा है. हमें अपनी विरासत को बचाये रखना है. राज्य सरकार से लेकर केंद्र सरकार अगर हमारी मांगों पर अभी विचार नहीं करती है तो हम चुप नही बैठेंगे. जो भी जनप्रतिनिधि हमारे साथ धोखा करेगा उन्हें सबक सीखना होगा.
पारसनाथ पर किया जा रहा है कब्जा:पूर्व सांसद सालखन मुर्मू ने कहा कि हमारे पारसनाथ पर कब्जा किया जा रहा है. यह आदिवासी समाज बर्दाश्त नहीं करेगा. पूरे देश में आंदोलन होगा. मरांग बुरु को हमसे छीनकर दूसरे के हाथ में सौपा जा रहा है. इसे हम बर्दाश्त नहीं करेंगे. कहा कि हेमंत सोरेन सरकार आदिवासी की सरकार है लेकिन यहां के झामुमो विधायक आंदोलन को तोड़ना चाह रहे हैं.
हमने उन्हें करोड़पति बनाया उन्होंने हमें नक्सली बना दियाःइस कार्यक्रम में युवा नेता जयराम महतो भी पहुंचे. उनके मंच पर पहुंचते ही पुलिस अधिकारी भी पहुंच गए. अधिकारियों ने घेरा बना लिया, इस दौरान ही जयराम ने भाषण दिया. उन्होंने कहा कि किसी भी सर्वे में जैन समाज की एक फीट जमीन पारसनाथ में नहीं है. इसके बावजूद यहां के मूलवासियों - आदिवासियों पर ही रोक लगाई जा रही है. उन्होंने कहा कि यहां के लोगों ने जैनियों को करोड़पति बनाया लेकिन इसके बदले में यहां के लोगों को नक्सली बनाया जा रहा है. कहा कि लोगों की भावना को समझना होगा. हम सभी धर्म का सम्मान करते हैं, हमें भी अपना अधिकार मिलना चाहिए. इस दौरान सिकंदर हेम्ब्रम, अमर तुरी, अर्जुन मरांडी समेत कई नेताओं ने अपनी बातों को रखा.
निकाली गई रैली, फूंका गया पीएम - सीएम का पुतलाःइस महजुटान में स्थानीय आदिवासी लोगों के अलावा रामगढ़, हजारीबाग, दुमका, बोकारो, धनबाद, देवघर समेत कई जिलों से लोग पहुंचे. दोपहर में कार्यक्रम स्थल से जुलूस लेकर लोग निकले. हाथ में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन व स्थानीय विधायक सुदिव्य कुमार की तस्वीर लगा पुतला लेकर निकले. जुलूस में शामिल लोग पारसनाथ भी चढ़े और मरांग बुरु दिशोम मांझी थान के पास जाकर नमन किया. यहीं पर पीएम, सीएम व विधायक का पुतला दहन किया.
सुरक्षा का रहा पुख्ता इंतजामः इधर कार्यक्रम को देखते हुए सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए थे. मधुबन से लेकर तलहटी तक चप्पे चप्पे पर जवान तैनात किए गए थे. पर्वत पर भी सुरक्षा की पुख्ता व्यवस्था की गई थी.