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आर्थिक मंदी के बीच गिरिडीह चैंबर ऑफ कॉमर्स ने सरकार को दिए सुझाव

'व्यापरियों की मार्मिक पुकार, अब तो सुध लो सरकार' का बैनर लगा गिरिडीह चैंबर ऑफ कॉमर्स के पदाधिकारियों ने शनिवार को प्रेस वार्ता का आयोजन किया. इस अवसर पर पदाधिकारियों ने विकास में बाधक लापरवाह अधिकारियों को चिह्नित कर उनपर सरकार से कार्रवाई करने की मांग की.

गिरिडीह चैंबर ऑफ कॉमर्स ने आयोजित की प्रेसवार्ता

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Published : Aug 25, 2019, 7:11 PM IST

गिरिडीह: जिला चैंबर ऑफ कॉमर्स के पदाधिकारियों ने शनिवार को प्रेस वार्ता का आयोजन कर सरकार के अधिकारियों की लापरवाही से जो नुकसान आम जनता व सरकार को हो रहा है, उसपर खुलकर बातें कही. प्रेसवार्ता को संबोधित करते हुए जिला चैंबर ऑफ कॉमर्स के अध्यक्ष निर्मल झुनझुनवाला ने कहा कि सरकार के विकास, रोजगार, उत्पात समेत अन्य नीतियों में कमी के कारण योजनाओं का क्रियान्वयन सही तरीके से नहीं हो पा रहा है. स्थानीय स्तर पर सरकार व व्यवसायियों के बीच संवादहीनता से भी कई समस्याएं आ रही है. उन्होंने कहा कि पिछले चार वर्षो से चैंबर समस्याओं और सुझाव को लेकर कई बार सरकार को आवेदन सौंप चुका है. लेकिन इसके बाद भी कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई है.

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जिला स्तर पर मिले माइनिंग माइंस स्वीकृति
चैंबर ऑफ कॉमर्स के अध्यक्ष निर्मल झुनझुनवाला ने कहा कि जिले में बेरोजगारी पांव पसारे हुए है. कभी गिरिडीह-कोडरमा में 50 से ज्यादा माइका के माइंस, 30 से अधिक निर्यातक व 300 से ज्यादा छोटे कारोबारी थे. जिसमें 5 लाख से अधिक लोगों को रोजगार प्राप्त था. लगभग एक लाख से अधिक मजदूरों को माइंस में माइका-ढ़िबरा चुनने से रोजगार मिलता था. वर्तमान में माइका के गिने-चुने निर्यातक है. ऐसी हालत को देखते हुए मांग की गई कि केंद्र सरकार ने जो 31 उद्योग को मेजर से माइनर किया है, जिसमें माइका भी शामिल है झारखंड सरकार इसपर नोटिफकेशन लाये और जिला स्तर पर माइनिंग माइंस की स्वीकृति दें.


बिजली के निजीकरण से सुधरेगी दशा
चैंबर पदाधिकारियों ने कहा कि राज्य सरकार ने सातों दिन चौबीसो घंटे बिजली देने का वादा किया, लेकिन इस पर सरकार बार-बार डेडलाइन बदलती रहती है. लचर बिजली के कारण ही गिरिडीह में छोटे उद्योग बंद हो गए है. ऐसे में बिजली के निजीकरण से ही व्यवस्था में सुधार होगा.

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केवल अधिकारियों की नहीं व्यवसायियों की भी सुने सरकार
चैंबर पदाधिकारियों ने इस अवसर पर कहा कि अधिकारियों ने राज्य से जिला स्तर तक विकास कार्यक्रम के क्रियान्वयन को लेकर जो नीति बनाई जाती है, उसमें चैंबर को दहीं नहीं रखा है. इसी कारण व्यवसायियों को लेकर सही फैसले नहीं लिए जा रहे. सरकार अधिकारियों के साथ व्यवसायियों की भी सुनें.

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