गिरिडीहः एकीकृत बिहार के कद्दावर नेता पूर्व मंत्री सह झारखंड विधानसभा के पूर्व उपाध्यक्ष डॉ सबा अहमद का निधन हो गया. 82 वर्ष की उम्र में उन्होंने शनिवार को दिल्ली के अस्पताल में अंतिम सांसें ली. वह लंबे समय से बीमार चल रहे थे.आज उनका अंतिम संस्कार गिरिडीह में किया जाएगा(Ex minister Dr Saba Ahmed will be cremated today ). उनका इलाज दिल्ली के एक प्राइवेट अस्पताल में चल रहा था. डॉ सबा अहमद के निधन से गिरीडीह में शोक की लहर दौड़ गयी है. निधन की खबर फैलते ही उनके बोडो स्थित आवास पर शोक संवेदना प्रकट करने वालों का तांता लग गया है. पूरे बोडो इलाके में मातम का माहौल है. उनके के चचेरे भाई पूर्व सांसद सह गांडेय विधायक डॉ सरफराज अहमद समेत कई राजनीतिक दलों के नेताओं ने अपनी शोक संवेदना प्रकट की है.
पूर्व मंत्री डॉ सबा अहमद के निधन से शोक की लहर, राजकीय सम्मान के साथ किया जाएगा अंतिम संस्कार - गिरिडीह न्यूज
झारखंड विधानसभा के पूर्व उपाध्यक्ष डॉ सबा अहमद का निधन हो गया. वो 82 साल के थे और काफी दिनों से बीमार चल रहे थे. आज राजकीय सम्मान के साथ उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा(Ex minister Dr Saba Ahmed will be cremated today).
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तीन बार रहे विधायकःबताते चलें कि सब अहमद गिरिडीह के पूर्व सांसद सह विख्यात चिकित्सक डॉ आई अहमद के पुत्र थे. उन्होंने अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत के बाद झारखंड मुक्ति मोर्चा से 1989 में पहली बार कोडरमा लोकसभा का चुनाव लड़ा था. इस चुनाव में वह तीसरे नंबर पर रहे थे. 1992 में एकीकृत बिहार में हुए बाई इलेक्शन में उन्होंने गिरीडीह के टुंडी विधानसभा सीट से जीत हासिल कर विधायक बने. तीन साल बाद फिर हुए चुनाव में वह टुंडी विधानसभा से ही दोबारा विधायक चुने गए. 1995 का चुनाव जीतने के कुछ वर्ष बाद वह जनता दल में शामिल हुए और एकीकृत बिहार में कारा मंत्री के बाद उच्च शिक्षा मंत्री का पद ग्रहण किया. वर्ष 2000 में डॉ सबा अहमद तीसरी बार राष्ट्रीय जनता दल के टिकट से टुंडी की सीट फतह की. जिसके बाद नवंबर 2000 में उन्हें अलग झारखंड राज्य गठन के बाद झारखंड विधानसभा के उपाध्यक्ष का पद संभालने का अवसर प्राप्त हुआ. 2005 की चुनाव में उन्हें हार का मुंह देखना पड़ा था. भाजपा में विलय से पहले तक वह बाबूलाल मरांडी के साथ मिलकर झाविमो से राजनीति कर रहे थे. मगर 11 फरवरी 2020 को भाजपा में विलय के बाद उन्होंने झाविमो का दामन छोड़ दिया और नए विकल्प की तलाश में थे. हालांकि इस दौरान उन्हें कांग्रेस, आरजेडी एवं झामुमो से ऑफर भी प्राप्त हुआ. मगर स्वास्थ्य कारणों से धीरे धीरे डॉ सबा अहमद ने खुद को सक्रिय राजनीति से अलग कर लिया. कोरोना काल के समय से ही उनकी तबियत बिगड़ने लगी थी. बीते छह माह से वह लगातार बीमार चल रहे थे.