बगोदर,गिरिडीहः35 साल पहले जिन किसानों को दो जून की रोटी नसीब नहीं होती थी, आज उनके दरवाजे पर गाड़ियां खड़ी हैं. उनके मकान भी चकाचक हैं और बच्चे भी अच्छे स्कूलों में पढ़ाई कर रहे हैं. अब किसानों के परिवार में खुशियां ही खुशियां है.
खेती बाड़ी कर किसान हो रहे सशक्त यह सब संभव हुआ है खेती बाड़ी की वजह से. यूं कहें कि खेती बाड़ी ने सैकड़ों किसानों की जिंदगी बदल कर रख दी है और अब किसान पूरी तरह से सक्षम भी हैं.
खेती से किसानों के चेहरे में रौनक
गिरिडीह जिले के बगोदर प्रखंड क्षेत्र के अटका इलाके में है लच्छीबागी गांव. इस गांव के सैकड़ों किसानों ने खेती बाड़ी कर अपने और अपने परिवार की जिंदगी बदल ली है और आज वे खुशहाल हैं.
खुद की मेहनत से किसानों ने पूरे किए सपने हजारों एकड़ भूमि में हो रही है खेती
यहां हजारों एकड़ भूमि में इन दिनों गन्ने की खेती लहलहा रही है. इसके अलावा मिर्ची, बादाम, आलू, टमाटर, सहित अन्य तरह की सब्जियां किसानों के द्वारा उपजाई जा रही है. पटवन के लिए किसान अपने-अपने निजी संसाधन पर निर्भर हैं.
ग्रामीणों को गोलबंद कर खेती बाड़ी के लिए किया गया प्रेरित
लच्छीबागी के किसान बिहारी लाल मेहता ने बताया कि 1985 के पहले ग्रामीणों की आर्थिक स्थिति खराब रहती थी. दो जून की रोटी भी उन्हें नसीब नहीं होती थी. बच्चे को अच्छे स्कूल में भी ग्रामीण नहीं पढ़ा पाते थे. इन्हीं परिस्थितियों को देखते हुए 3 मार्च 1985 को उनके नेतृत्व में ग्रामीण गोलबंद हुए और उन्हें खेती बाड़ी के लिए प्रेरित किया गया.
इसके लिए जानवरों को खुले में चारा चरने पर पाबंदी लगाई गई. कृषि विकास सेवा समिति का गठन किया गया और वृहत पैमाने में खेती बाड़ी शुरू की गई. इसके बाद ग्रामीणों ने खेती बाड़ी में भविष्य को देखा और धीरे-धीरे इसका पैमाना बढ़ता गया.